केदारनाथ (उत्तराखंड) — सनातन आस्था के प्रमुख केंद्र श्रीकेदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए परंपरागत विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इस पावन अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी विशेष रूप से केदारनाथ पहुंचे और भगवान केदारनाथ की पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख, समृद्धि और कल्याण की कामना की।
मुख्यमंत्री धामी ने इस अवसर पर कहा कि, “इस वर्ष चारधाम यात्रा में रिकॉर्ड संख्या में तीर्थयात्री पहुंचे। बाबा केदार की कृपा से यात्रा सकुशल सम्पन्न हुई। हम सभी पर बाबा का आशीर्वाद सदा बना रहे।” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में प्रदेश सरकार उत्तराखंड को सनातन धर्म की आध्यात्मिक राजधानी के रूप में विकसित करने की दिशा में सतत प्रयासरत है।
पुरोहितों और तीर्थयात्रियों से संवाद
मुख्यमंत्री धामी ने केदारनाथ में स्थानीय तीर्थ पुरोहितों और श्रद्धालुओं से भी संवाद किया। उन्होंने बताया कि सरकार के सुनियोजित प्रबंधन और बेहतर व्यवस्थाओं के चलते इस बार की चारधाम यात्रा न केवल सफल रही, बल्कि यात्रियों के अनुभव भी पहले से अधिक संतोषजनक रहे।
आज भैया दूज के पावन अवसर पर श्री केदारनाथ धाम के कपाट विधि-विधान एवं धार्मिक परंपराओं के साथ शीतकाल हेतु बंद हो गए। कपाट बंद होने से पूर्व बाबा केदार की पूजा-अर्चना में सम्मिलित होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। pic.twitter.com/CgFfdZu3fd
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) October 23, 2025
विकास कार्यों की समीक्षा और निर्देश
मुख्यमंत्री ने केदारनाथ धाम क्षेत्र में चल रहे विकास और पुनर्निर्माण कार्यों का स्थलीय निरीक्षण भी किया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वर्ष 2026 की यात्रा के लिए अभी से रणनीति तैयार की जाए ताकि समय से पहले सभी व्यवस्थाएँ पूरी की जा सकें।
उन्होंने कहा, “चारधाम यात्रा न केवल प्रदेश की आर्थिक रीढ़ है बल्कि यह देवभूमि उत्तराखंड को विश्वभर के सनातन धर्मावलंबियों से जोड़ने का भी कार्य करती है।”
मुख्यमंत्री ने तीर्थ पुरोहितों, हक-हकूकधारियों, स्थानीय कारोबारियों और तीर्थयात्रियों के सहयोग के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सभी के सामूहिक प्रयासों से ही यह यात्रा सुचारू रूप से सम्पन्न हो सकी।
मोदी के नेतृत्व में चारधाम और मानसखंड का कायाकल्प
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में न केवल चारधाम, बल्कि मानसखंड क्षेत्र से जुड़े प्राचीन मंदिरों में भी व्यापक विकास कार्य किए जा रहे हैं, जिससे आने वाले वर्षों में उत्तराखंड की आध्यात्मिक पहचान और अधिक सशक्त होगी।














