गुरुवार, 5 सितंबर को राजस्थान उच्च न्यायालय ने कन्हैया लाल हत्याकांड मामले में मोहम्मद जावेद को जमानत दे दी। कन्हैया लाल की उदयपुर में दो उग्र इस्लामवादियों ने सिर्फ इसलिए हत्या कर दी क्योंकि उसने भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नुपुर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया पर एक संदेश पोस्ट किया था। न्यायमूर्ति पंकज भंडारी और न्यायमूर्ति प्रवीण भटनागर की खंडपीठ ने 2 लाख रुपये के मुचलके और 1 लाख रुपये की अतिरिक्त जमानत पर जमानत मंजूर की।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने कन्हैया लाल की निर्मम हत्या के 20 दिन बाद 22 जुलाई, 2022 को राजस्थान के उदयपुर से मोहम्मद जावेद को गिरफ्तार किया था। जावेद ने कथित तौर पर साजिश में भूमिका निभाई थी, उसने हत्यारों में से एक रियाज अटारी को कन्हैया लाल की हत्या से पहले उसकी दुकान पर मौजूद होने की जानकारी दी थी। कन्हैया लाल की हत्या 29 जून, 2022 को रियाज और ग़ौस मोहम्मद नाम के दो कट्टरपंथी इस्लामवादियों ने कन्हैया लाल की हत्या कर दी थी। दोनों ने ग्राहकों का वेश धारण किया और मृतक की सिलाई की दुकान में घुस गए।
जब कन्हैया लाल कपड़े का नाप लेने में व्यस्त थे, तो आरोपियों में से एक ने उन पर लंबे नुकीले चाकू से हमला कर दिया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, उनके शरीर पर गर्दन से कंधे तक 26 बार वार किए गए थे। कन्हैया लाल की हत्या पूर्व भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया पर पोस्ट अपलोड करने के कारण की गई थी। मृतक कन्हैया लाल के आठ वर्षीय बेटे ने अपने मोबाइल से नुपुर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर की थी। हालांकि, इसके बाद कन्हैयालाल को धानमंडी थाने के अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया था। रिहा होने के बाद भी उसे पोस्ट को लेकर जान से मारने की धमकियां मिलती रहीं। धमकियों से डरे कन्हैया लाल ने राजस्थान की तत्कालीन कांग्रेस सरकार से सुरक्षा की गुहार लगाई थी, लेकिन पुलिस ने उसे गंभीरता से नहीं लिया।
VIKAS TRIPATHI
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