
Jharkhand mukti morcha jmm cm hemant soren bihar assembly elections 12 seats in target:झारखंड में सत्ता पर मजबूत पकड़ बनाने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने अब बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने का फैसला किया है। पार्टी ने बिहार के सीमावर्ती 12 विधानसभा सीटों पर महागठबंधन के तहत चुनाव लड़ने का दावा किया है।
सीमावर्ती सीटों पर मजबूत दावेदारी
जेएमएम ने दावा किया है कि झारखंड और बिहार के सीमावर्ती इलाकों में पार्टी का मजबूत जनाधार है। पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि इन क्षेत्रों में न केवल जेएमएम के सक्रिय कार्यकर्ता हैं, बल्कि मजबूत उम्मीदवार भी मौजूद हैं। जिन सीटों पर जेएमएम ने दावेदारी ठोकी है, उनमें तारापुर, कटोरिया, मनिहारी, झाझा, बांका, ठाकुरगंज, रुपौली, रामपुर, बनमनखी, जमालपुर, पीरपैंती और चकाई शामिल हैं।
गठबंधन से उम्मीदें
झारखंड में कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ गठबंधन के तहत चुनाव लड़ चुकी जेएमएम को उम्मीद है कि बिहार में भी महागठबंधन सीटों का समान रूप से बंटवारा करेगा। हालांकि, पार्टी ने यह स्पष्ट किया है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत वह अपनी मांग को मजबूती से रखेगी।
2020 में मिली थी निराशा
पार्टी ने वर्ष 2020 में बिहार विधानसभा चुनाव में अकेले दम पर मैदान में उतरने का प्रयास किया था, लेकिन परिणाम उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहे। इस बार जेएमएम गठबंधन का हिस्सा बनकर बिहार की राजनीति में मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने का इरादा रखती है।
महागठबंधन का जवाब
जेएमएम के 12 सीटों पर चुनाव लड़ने के दावे पर कांग्रेस और राजद की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया आई है। कांग्रेस के मीडिया प्रभारी राकेश सिन्हा ने कहा कि महागठबंधन के शीर्ष नेता आपसी सहमति से सीटों का बंटवारा करेंगे।
हेमंत सोरेन के नेतृत्व की प्रशंसा
जेएमएम के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में मिली जीत ने पार्टी की लोकप्रियता को राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा दिया है। उन्होंने दावा किया कि बिहार समेत अन्य राज्यों में भी पार्टी का प्रभाव बढ़ रहा है।
2025 के चुनाव का बिगुल
बिहार में 2025 के विधानसभा चुनावों की तैयारी अभी से तेज हो गई है। महागठबंधन के तहत चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटी जेएमएम ने यह साफ कर दिया है कि सीमावर्ती सीटों पर उसकी दावेदारी पक्की है।
क्या है चुनौती?
बिहार में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना जेएमएम के लिए आसान नहीं होगा। सीमावर्ती इलाकों में भले ही पार्टी का जनाधार हो, लेकिन स्थानीय दलों और गठबंधन सहयोगियों के साथ तालमेल बिठाना एक बड़ी चुनौती है।
निष्कर्ष
झारखंड में शानदार प्रदर्शन के बाद जेएमएम का बिहार के सीमावर्ती क्षेत्रों में चुनाव लड़ने का फैसला पार्टी के विस्तार की रणनीति का हिस्सा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत किस दिशा में जाती है और क्या झारखंड मुक्ति मोर्चा बिहार में अपनी पहचान बना पाएगी।