Tuesday, July 1, 2025
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मुंबई में 90 साल पुराने जैन मंदिर पर चला बुलडोज़र, देशभर में उबाल; BMC अधिकारी निलंबित, पुनर्निर्माण की उठी मांग

मुंबई। मुंबई के विले पार्ले इलाके में स्थित पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर को बृहन्मुंबई महानगर पालिका (BMC) द्वारा ध्वस्त किए जाने के बाद देशभर में जैन समुदाय में भारी आक्रोश फैल गया है। मंदिर तोड़ने की यह कार्रवाई 16 अप्रैल को BMC के के-ईस्ट वॉर्ड की टीम द्वारा की गई थी। हालांकि, विवाद बढ़ने के बाद अब इस मामले में बड़ी कार्रवाई हुई है—मंदिर गिराने वाले सहायक नगर आयुक्त नवनाथ घाडगे को निलंबित कर दिया गया है।

90 साल पुराना मंदिर बताया गया ‘अवैध’, जैन समुदाय ने किया जोरदार विरोध

BMC का दावा है कि मंदिर अनधिकृत निर्माण था, लेकिन जैन समाज ने इस दावे को नकारते हुए कहा कि यह मंदिर लगभग 90 साल पुराना है और वर्षों से श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र रहा है। मंदिर नेमिनाथ को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी परिसर में स्थित था और लंबे समय से धार्मिक गतिविधियों के लिए उपयोग में आ रहा था।

‘मंदिर गिराया, कोई साहस नहीं’—जैन समाज का शांतिपूर्ण लेकिन तीखा विरोध

मंदिर तोड़े जाने के दो दिन बाद यानी 18 अप्रैल को मुंबई में जैन समाज ने अहिंसक विरोध रैली का आयोजन किया। रैली की शुरुआत मंदिर स्थल पर आरती से हुई, जिसके बाद सैकड़ों श्रद्धालु हाथों में तख्तियां लेकर सड़कों पर उतर आए। इन तख्तियों पर लिखा था—“मंदिर गिरा दिया, कोई साहस नहीं।” इस शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में महिलाओं, युवाओं और स्थानीय नेताओं ने भी बड़ी संख्या में भाग लिया।

पुनर्निर्माण की उठी मांग, सरकार पर दबाव बढ़ा

विरोध प्रदर्शन के दौरान महाराष्ट्र सरकार के मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा, स्थानीय विधायक पराग अलवानी और अन्य भाजपा नेताओं ने भी हिस्सा लिया और जैन समुदाय के साथ एकजुटता दिखाई। जैन समाज ने BMC से स्पष्ट मांग की है कि इस मंदिर का यथाशीघ्र पुनर्निर्माण कराया जाए और आस्था पर हमला करने वालों को सख्त सजा दी जाए।

BMC अधिकारी निलंबित, निगम आयुक्त ने दिया आदेश

तेज़ी से बढ़ते विरोध और राजनीतिक दबाव को देखते हुए नगर निगम आयुक्त भूषण गगरानी ने इस मामले में तुरंत संज्ञान लेते हुए मंदिर गिराने वाले सहायक आयुक्त नवनाथ घाडगे को निलंबित कर दिया। यह फैसला 19 अप्रैल की शाम को लिया गया।

जैन समाज का संदेश: आस्था के स्थानों की सुरक्षा जरूरी

जैन समाज ने स्पष्ट किया है कि यह आंदोलन राजनीतिक नहीं, बल्कि आस्था और विरासत की रक्षा के लिए है। उनका कहना है कि यदि वर्षों पुराने मंदिरों को बिना सूचना और समुचित प्रक्रिया के ‘अवैध’ बताकर गिराया जा सकता है, तो देशभर में लाखों धार्मिक स्थलों की सुरक्षा भी खतरे में है

क्या कहती है सरकार?

फिलहाल महाराष्ट्र सरकार ने औपचारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी गई है। संभावना है कि आगामी दिनों में जैन समुदाय के प्रतिनिधिमंडल से बैठक कर इस मुद्दे का समाधान निकालने की कोशिश की जाएगी।

जैन समाज की मुख्य मांगें:

  1. ध्वस्त मंदिर का तत्काल पुनर्निर्माण कराया जाए
  2. मंदिर तोड़ने की जिम्मेदार पूरी श्रृंखला की जांच हो और जवाबदेही तय हो
  3. भविष्य में किसी भी धार्मिक स्थल पर कार्रवाई से पहले समुचित संवाद और प्रक्रिया अपनाई जाए
  4. धार्मिक स्थलों के संरक्षण के लिए कानूनी गारंटी दी जाए

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VIKAS TRIPATHI
VIKAS TRIPATHIhttp://www.pardaphaas.com
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