Indore fir will be filed against people for giving alms to beggars why did collector take this decision: मध्य प्रदेश के इंदौर में कलेक्टर ने सख्त आदेश जारी किया है कि अब अगर कोई भिखारियों को भीख देता पकड़ा गया, तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। यह फैसला क्यों लिया गया और इसके पीछे असल वजह क्या है? क्या यह कानूनी रूप से सही है कि किसी भिखारी को भीख देने पर सजा मिले? आइए जानते हैं इस पूरे मामले की असल कहानी।
इंदौर में क्यों लागू हुआ ये आदेश?
मध्य प्रदेश को यूं ही “अजब-गजब प्रदेश” नहीं कहा जाता। इंदौर में भिखारियों को भीख देने पर रोक लगाने का आदेश जारी कर दिया गया है। दरअसल, राज्य सरकार “भिखारी मुक्त प्रदेश” बनाने के अभियान में जुटी है। जब प्रशासन ने भिखारियों की हकीकत खंगाली, तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। कई भिखारी लाखों की संपत्ति, मकान और जमीन के मालिक निकले।
पिछले एक हफ्ते में महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम ने 323 भिखारियों को पकड़कर उज्जैन के सेवाधाम आश्रम भेजा। जांच में सामने आया कि कुछ भिखारी महीने में 50 से 60 हजार रुपए तक कमा लेते हैं। एक महिला के पास से 75 हजार रुपए बरामद हुए, जो उसकी सिर्फ एक हफ्ते की कमाई थी।
ड्रग्स की लत और भिखारियों की कमाई का सच
शहर में कई भिखारी ड्रग्स के आदी हैं, और इनके जरिए ड्रग्स का धंधा भी चलाया जा रहा है। प्रशासन को पता चला कि इन गतिविधियों के तार राजस्थान तक जुड़े हैं। इंदौर कलेक्टर ने इस अवैध कारोबार को रोकने और शहर को भिखारी मुक्त बनाने के लिए यह सख्त कदम उठाया है।
सेवाधाम आश्रम के प्रमुख सुधीर भाई गोयल का कहना है कि कई भिखारियों के पास बीघों में जमीन और लाखों रुपए की संपत्ति है। आश्रम में लाए गए भिखारियों में से कई नशे के आदी हैं। धीरे-धीरे उन्हें नशे से दूर कर उनकी जिंदगी संवारने की कोशिश की जा रही है।
विपक्ष का हमला: ‘प्रदेश को कर्ज मुक्त बनाए सरकार’
सरकार के इस फैसले पर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने निशाना साधते हुए कहा कि सरकार प्रदेश को भिखारी मुक्त बनाने के बजाय कर्ज मुक्त बनाने पर ध्यान दे। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार विदेशों में जाकर निवेश के लिए “भीख” मांगती है, लेकिन यहां जरूरतमंद भिखारियों की मदद रोक दी जा रही है।
मंत्री का बचाव: ‘सरकारी योजनाओं से मिल रहा है रोजगार’
मोहन सरकार में राज्यमंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने इस कदम को अभिनंदनीय बताया। उन्होंने कहा कि इंदौर स्वच्छता में पहले से ही नंबर-1 है और अब भिखारी मुक्त अभियान के जरिए शहर को और बेहतर बनाया जा रहा है। उनका कहना है कि सरकार इतनी योजनाएं चला रही है कि किसी को भी भीख मांगने की जरूरत नहीं पड़ती।
कानूनी स्थिति: मध्य प्रदेश में भीख मांगना अपराध
भले ही केंद्र सरकार ने भीख देने को लेकर कोई कानून नहीं बनाया है, लेकिन मध्य प्रदेश भिक्षावृत्ति निवारण अधिनियम, 1973 के तहत भीख मांगना अपराध है। पहली बार पकड़े जाने पर 2 साल और दूसरी बार पकड़े जाने पर 10 साल की सजा का प्रावधान है।
इसके अलावा भारतीय कानून में बीएनएस की धारा-133 के तहत भीख मांगना सार्वजनिक परेशानी (पब्लिक न्यूइसेंस) माना जाता है।
क्या सरकार सफल होगी?
सरकार के इस सख्त फैसले से यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या मध्य प्रदेश सच में भिक्षुक मुक्त प्रदेश बन पाएगा। या फिर यह अभियान भी केवल कागजों पर ही सिमटकर रह जाएगा।
VIKAS TRIPATHI
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