Wednesday, July 2, 2025
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पेपर लीक होने पर उत्तर प्रदेश में आरोपितों को मिलेगी आजीवन कारावास, और एक करोड़ का लगेगा जुर्माना, कैबिनेट ने दी मंजू

उत्तर प्रदेश में परीक्षाओं को पारदर्शी तरीके से संपन्न कराने के लिए योगी सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को लोकभवन में आयोजित कैबिनेट बैठक में सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित साधनों और पेपर लीक की रोकथाम के लिए अध्यादेश को मंजूरी प्रदान की गई है। इस अध्यादेश के तहत उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सजा के कड़े प्राविधान सम्मिलित किए गए हैं। इनमें दो साल से लेकर आजीवन कारावास तक का दंड और एक करोड़ रुपए तक के जुर्माने शामिल हैं।

लोकभवन में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद वित्त एवं संसदीय मंत्री सुरेश खन्ना ने मंजूर किए गए प्रस्तावों के विषय में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कैबिनेट के समक्ष कुल 44 प्रस्ताव रखे गए थे, जिनमें 43 को कैबिनेट ने मंजूरी प्रदान की है। 2024 का सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित साधनों और पेपर लीक की रोकथाम अध्यादेश भी इस तय किए गए प्रस्तावों में शामिल था। वित्त मंत्री ने बताया कि पेपर लीक के संबंध में मंत्रिपरिषद द्वारा प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई है, जिसमें यदि कोई संस्था या उससे जुड़े लोग पकड़े जाएंगे तो उन्हें 2 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास की सजा और एक करोड़ रुपए तक के जुर्माने का प्राविधान किया गया है। उन्होंने बताया कि इस अध्यादेश के तहत लोकसेवा आयोग, उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड, उत्तर प्रदेश बोर्ड, विश्वविद्यालय, प्राधिकरण या निकाय या उनके द्वारा नामित संस्था भी इसमें सम्मिलित हैं। यह अध्यादेश किसी प्रकार की भर्ती परीक्षाओं, नियमितीकरण या पदोन्नति करने वाली परीक्षाएं, डिग्री-डिप्लोमा, प्रमाण-पत्रों या शैक्षणिक प्रमाण-पत्रों के लिए होने वाली प्रवेश परीक्षाओं पर भी लागू होगा। इसके अंतर्गत फर्जी प्रश्नपत्र बांटना, फर्जी सेवायोजन वेबसाइट बनाना इत्यादि दंडनीय अपराध बनाए गए हैं।

उन्होंने बताया कि यदि परीक्षा प्रभावित होती है तो उस पर आने वाले वित्तीय भार को सॉल्वर गिरोह से वसूलने तथा परीक्षा में गड़बड़ी करने वाली संस्था तथा सेवा प्रदाताओं को सदैव के लिए ब्लैक लिस्ट करने का भी प्राविधान किया गया है। अधिनियम में अपराध की दशा में संपत्ति की कुर्की भी प्राविधानित की गई है। इसके तहत समस्त अपराध संज्ञेय, गैर जमानती एवं सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय एवं अशमनीय बनाए गए हैं। जमानत के संबंध में भी कठोर प्राविधान किए गए हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में विधानसभा का सत्र न होने के कारण बिल के स्थ

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