

सरकार ने 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद यह लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया है। किसानों की आय का आकलन नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) द्वारा किया जाता है। भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां लाखों किसान परिवार अपनी आजीविका के लिए खेती पर निर्भर हैं, और किसानों की आर्थिक स्थिति देश की समृद्धि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस रिपोर्ट में हम किसानों की आय और उनके कर्ज का विश्लेषण करेंगे।
कृषि और किसान कल्याण मंत्री का बयान
कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने हाल ही में किसानों की आय और कर्ज से संबंधित आंकड़े जारी किए। ये आंकड़े NSSO द्वारा किए गए “कृषि गृहस्थी स्थिति आंकलन सर्वेक्षण” से लिए गए हैं, जो जनवरी 2019 से दिसंबर 2019 के बीच देश के ग्रामीण क्षेत्रों में किया गया था।
किसानों की आय कितनी है?

सर्वे के अनुसार, कृषि परिवारों की औसत मासिक आय राज्यों में भिन्न-भिन्न है। मेघालय में कृषि परिवारों की औसत मासिक आय सबसे अधिक (29,348 रुपये) है, जबकि झारखंड (4895 रुपये) और ओडिशा (5112 रुपये) में यह सबसे कम है। यह असमानता विभिन्न कारकों के कारण हो सकती है, जैसे विशिष्ट फसलों की खेती, सिंचाई सुविधाएं, और सरकारी सहायता।
भारत में कृषि ऋण: एक चिंताजनक तस्वीर
कृषि ऋण भारतीय किसानों के लिए अहम भूमिका निभाता है, लेकिन ज्यादा कर्ज किसानों के लिए चिंता का कारण बन सकता है। आंकड़े बताते हैं कि राज्यवार कृषि ऋण में बड़ा अंतर है। आंध्र प्रदेश, केरल और पंजाब में प्रति कृषि परिवार औसत बकाया ऋण सबसे ज्यादा है, जबकि अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और नगालैंड में यह सबसे कम है। इसके अलावा, कुछ राज्य जैसे आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में ऋणी कृषि परिवारों का प्रतिशत बहुत ज्यादा है, जबकि नगालैंड और मिजोरम में यह सबसे कम है।
केंद्र सरकार की कर्ज योजनाएं
केंद्र सरकार किसानों को कम ब्याज दर पर कर्ज देने के लिए “संशोधित ब्याज अनुदान योजना” (MISS) चला रही है, जिसमें किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के माध्यम से शॉर्ट-टर्म कृषि ऋण मिलते हैं। पिछले 5 वर्षों में किसानों को करीब 95 लाख करोड़ रुपये का कर्ज दिया गया, और 2023-24 में सबसे ज्यादा 25.47 लाख करोड़ रुपये का कर्ज वितरित किया गया।
सरकारी योजनाएं और कार्यक्रम
कृषि और किसान कल्याण मंत्री ने बताया कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई योजनाएं चल रही हैं, जैसे पीएम किसान योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY), और कृषि क्षेत्र में मशीनरी के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन। इसके अलावा, किसानों को अपनी फसलें ऑनलाइन बाजारों में बेचने का अवसर भी मिल रहा है, और कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा दिया जा रहा है।
किसानों की आय में वृद्धि का विश्लेषण

सरकार ने 2022-23 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन सर्वे से पता चलता है कि यह लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया। 2012-13 में किसान परिवारों की औसत मासिक आय 6426 रुपये थी, जो 2018-19 में बढ़कर 10,218 रुपये हो गई, लेकिन यह लक्ष्य दोगुनी आय तक नहीं पहुंच सका।
कृषि सब्सिडी में वृद्धि
पिछले 10 वर्षों में कृषि सब्सिडी दोगुनी हो गई है, विशेषकर खाद और बिजली के लिए। सरकार का खर्च बढ़ा है, क्योंकि खाद और बिजली की सब्सिडी कृषि में सरकार के कुल निवेश का एक तिहाई हिस्सा बन चुकी है।
किसानों की आत्महत्या: एक गंभीर समस्या
भारत में किसानों की आत्महत्या एक गंभीर समस्या बन चुकी है, विशेषकर महाराष्ट्र में। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में सबसे अधिक किसान आत्महत्याएं हुई हैं। कर्ज, फसल की विफलता, और मानसिक स्वास्थ्य की कमी जैसे कारण आत्महत्या के लिए जिम्मेदार हैं।
कर्ज एक प्रमुख कारण है, जो किसानों को आत्महत्या की ओर धकेलता है। बेमौसम बारिश या सूखा, फसल के नुकसान, और कर्ज चुकाने में असमर्थता आत्महत्या के कारण बनती है।