Wednesday, July 2, 2025
Your Dream Technologies
HomeNationalउत्तराखंड में तबाही: चमोली में ग्लेशियर टूटा, बर्फीले तूफान ने मचाई भारी...

उत्तराखंड में तबाही: चमोली में ग्लेशियर टूटा, बर्फीले तूफान ने मचाई भारी तबाही

चमोली | 29 फरवरी 2025

उत्तराखंड के चमोली जिले में चार साल में दूसरी बार ग्लेशियर टूटने से तबाही मची है। शुक्रवार को नंदा देवी चोटी से एक बड़ा ग्लेशियर टूटकर ऋषि गंगा में गिरा, जिससे अचानक बाढ़ आ गई और धौली गंगा में भी गाद भरने लगी। इस आपदा में अब तक 33 मजदूरों को बचाया जा चुका है, जबकि 22 मजदूर अभी भी फंसे हुए हैं।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चमोली पहुंचकर हवाई सर्वेक्षण किया और अधिकारियों को राहत एवं बचाव कार्य तेज करने के निर्देश दिए। रेस्क्यू ऑपरेशन में सेना, आईटीबीपी (ITBP), एनडीआरएफ (NDRF) और एसडीआरएफ (SDRF) की टीमें लगी हुई हैं। सेना का MI-17 हेलिकॉप्टर भी बचाव कार्य के लिए तैयार है।

हादसा: चार साल में दूसरी बार टूटा ग्लेशियर

गौरतलब है कि 7 फरवरी 2021 को भी चमोली में इसी तरह का एक हादसा हुआ था, जब धौली गंगा में ग्लेशियर गिरने से भारी तबाही मची थी। तब विष्णुगाड हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट की टनल में कई मजदूर फंस गए थे, जिन्हें कोई भी बचा नहीं सका था।

इस बार 28 फरवरी 2025 को नंदा देवी चोटी से ग्लेशियर टूटा, जिससे बर्फीला तूफान आया और ऋषि गंगा में बाढ़ आ गई। इसका असर जोशीमठ और बद्रीनाथ हाईवे तक देखने को मिला, जहां भारी हिमपात और भूस्खलन के कारण सड़कें बंद हो गई हैं।

क्या यह सिर्फ प्राकृतिक आपदा है?

हर बार इन आपदाओं को प्राकृतिक दुर्घटना बताया जाता है, लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर ये ग्लेशियर बार-बार क्यों टूट रहे हैं?
• विशेषज्ञों के अनुसार, हिमालय की चोटियों पर तापमान लगातार बढ़ रहा है, जिससे ग्लेशियर कमजोर हो रहे हैं।
• चारधाम सड़क परियोजना के लिए बड़े पैमाने पर पहाड़ काटे जा रहे हैं, जिससे भूस्खलन और ग्लेशियर का खिसकना आम होता जा रहा है।
• जलविद्युत परियोजनाओं के लिए नदियों और पहाड़ों का दोहन किया जा रहा है, जिससे पारिस्थितिकी संतुलन बिगड़ रहा है।

वरिष्ठ पर्यावरणविदों का मानना है कि हिमालय के संवेदनशील इलाकों में इस तरह की बड़े पैमाने पर खुदाई और निर्माण गतिविधियां इन आपदाओं को न्योता दे रही हैं।

रेस्क्यू ऑपरेशन जारी, मजदूरों को सुरक्षित निकालने की कोशिशें

चमोली में सेना, आईटीबीपी और एनडीआरएफ की टीमें लगातार बचाव कार्य में जुटी हुई हैं। अब तक 33 मजदूरों को बचाया जा चुका है, जबकि 22 अभी भी बर्फ और मलबे के नीचे फंसे हुए हैं। मौसम साफ होते ही मजदूरों को हेलिकॉप्टर से ऋषिकेश लाने की योजना है।

इस दौरान सीमा सड़क संगठन (BRO) भी रास्ते साफ करने में जुटा हुआ है ताकि राहत सामग्री प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंच सके।

क्या सरकार पिछली आपदाओं से नहीं सीख रही?

2013 की केदारनाथ आपदा, 2021 का चमोली हादसा, और अब 2025 में फिर ग्लेशियर टूटने से तबाही—इन घटनाओं से साफ है कि उत्तराखंड के संवेदनशील इलाकों में निर्माण कार्यों और पर्यावरण से छेड़छाड़ का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।

लेकिन अब सवाल उठता है कि सरकार कब तक इसे “प्राकृतिक आपदा” कहकर नजरअंदाज करती रहेगी?

अगर समय रहते विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन नहीं बनाया गया, तो भविष्य में यह त्रासदी और भी बड़े रूप में सामने आ सकती है।

- Advertisement -
Your Dream Technologies
VIKAS TRIPATHI
VIKAS TRIPATHIhttp://www.pardaphaas.com
VIKAS TRIPATHI भारत देश की सभी छोटी और बड़ी खबरों को सामने दिखाने के लिए "पर्दाफास न्यूज" चैनल को लेके आए हैं। जिसके लोगो के बीच में करप्शन को कम कर सके। हम देश में समान व्यवहार के साथ काम करेंगे। देश की प्रगति को बढ़ाएंगे।
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments

Call Now Button