गाजीपुर – जनपद के राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-31 (वाराणसी-गाजीपुर मार्ग) पर स्थित रसूलपुर बेलवा क्रॉसिंग अब स्थानीय जनता के लिए एक खतरे का पर्याय बन चुका है। इस क्रॉसिंग के जरिए नसीरपुर, नूरपुर, नगवा, चौकिया, जगनापुर, रुहीपुर, कटैला, चकजाफर, इनरवा, तराचक, बिराईच, अंधऊ सहित दर्जनों गांवों के लोग रोजाना सड़क पार कर अपने दैनिक कार्यों के लिए आते-जाते हैं।
लगातार हो रही दुर्घटनाओं से जनता में गहरा आक्रोश
ग्रामीणों के अनुसार, जब से इस क्षेत्र में नैरो (सड़क संकुचन) का कार्य हुआ है, तब से यह स्थान हादसों का केंद्र बन गया है। अब तक सैकड़ों दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें कई लोगों की जान भी जा चुकी है। जनता का आरोप है कि प्रशासन और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की लापरवाही के कारण इस क्रॉसिंग पर सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए हैं।
आंदोलन के दूसरे दिन हुआ बुद्धि-शुद्धि यज्ञ
इन्हीं समस्याओं के विरोध में क्षेत्रीय जनता ने सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया है। शुक्रवार को आंदोलन के दूसरे दिन अधिकारियों की सद्बुद्धि के लिए बुद्धि-शुद्धि यज्ञ का आयोजन किया गया। यज्ञ में सैकड़ों ग्रामीणों ने भाग लिया और प्रशासन से तत्काल कोई ठोस कदम उठाने की मांग की।
नेताओं ने दी चेतावनी – “नहीं मानी मांग तो हाईकोर्ट और पुतला दहन”
इस मौके पर समाजवादी पार्टी नगर अध्यक्ष एवं पीजी कॉलेज छात्रसंघ के पूर्व महामंत्री दिनेश सिंह यादव ने कहा,
> “जब तक रसूलपुर बेलवा क्रॉसिंग पर ओवरब्रिज या अंडरपास नहीं बनाया जाएगा, हादसे रुकने वाले नहीं हैं। यह नागरिकों के जीवन और सुरक्षा के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। अगर तत्काल समाधान नहीं निकाला गया तो हमें हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाना पड़ेगा।”
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि प्रशासन ने आंदोलन को गंभीरता से नहीं लिया, तो अगले चरण में अधिकारियों का पुतला दहन किया जाएगा।
सैकड़ों ग्रामीणों की सक्रिय भागीदारी
सत्याग्रह में मिथिलेश कुमार, चंदन कुमार, अंकित, मंगलदीप, मुमताज अंसारी, शंकर चाचा, योगेंद्र चाचा, ओमप्रकाश, बृजन्दन, असलम, कमलेश, अनिल, पवन, विनोद, विकास, राहुल, वीरेंद्र, अजय, अखिलेश, राजू बालकिशन, डॉ. ए.के. गौतम, उमेश आज़ाद, मुलायम, कैलाश, आलोक, रंजन, अनूप, अमित, आनंद, मनोज सहित सैकड़ों ग्रामीणों ने सहभागिता की और अपनी एकजुटता दिखाई।
जनता की प्रमुख मांगें:
रसूलपुर बेलवा क्रॉसिंग पर ओवरब्रिज या अंडरपास का निर्माण,हादसों को रोकने के लिए तत्काल ट्रैफिक कंट्रोल के उपाय ,प्रशासनिक लापरवाही की जांच और जवाबदेही,मृतकों के परिजनों को मुआवजा और सहायता
ग्रामीणों का कहना है कि अगर उनकी आवाज़ अनसुनी की गई, तो आने वाले दिनों में आंदोलन और भी उग्र रूप ले सकता है।