
गाजीपुर। डाला छठ के अवसर पर गुरुवार शाम होते ही लोक धुनों पर छठी मैया के गीतों के बीच आस्था और सूर्योपासना के महापर्व की शुरुआत हुई। तीन दिवसीय व्रत के बाद व्रती महिलाओं ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर इस पर्व का प्रथम सोपान पूरा किया। जिले के सभी तहसील क्षेत्रों, गंगा घाटों और सार्वजनिक सरोवरों पर भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया गया।

शुक्रवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रती महिलाएं इस महापर्व का समापन करेंगी।पहली बार व्रत करने वाली महिलाओं ने गाजे-बाजे के साथ कोसी भरकर इस पर्व की शुरुआत की। इस मौके पर गांव से लेकर शहर तक डीजे की धूम मची रही।

परंपरा के अनुसार, भगवान भास्कर प्रत्यक्ष देवता माने जाते हैं और उनकी पूजा से ज्ञान, विज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति होती है। रंग-बिरंगे परिधानों में सजी व्रती महिलाएं और युवतियां लोकगीत गाते हुए, सिर पर दौरा रखकर गंगा घाट और सरोवरों पर पहुंचीं और सूर्य को अर्घ्य दिया। इस दौरान उन्होंने संतान की कामना, दीर्घायु और परिवार के सुख-समृद्धि की प्रार्थना की।

नगर के 40 घाटों पर छठ पूजा का आयोजन हुआ, जिनमें चेतनाथ घाट, कलेक्ट घाट, ददरी घाट, नवापुर और सिकंदरपुर प्रमुख रहे। बिरनो क्षेत्र के तियरा, बिरनो, बद्दूपुर, भड़सर, सियारामपुर, बिहरा, शेखपुर, भैरोपुर और अन्य गांवों के सार्वजनिक सरोवरों पर भी श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा। सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद रहा।

थानाध्यक्ष संजय मिश्रा अपने दल-बल के साथ विभिन्न घाटों और सरोवरों पर निगरानी करते नजर आए, ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
