
स्थान: दिल्ली का लाजपत नगर
घटना: एक अंडर ट्रेनी आईपीएस अधिकारी ने अपने दोस्तों संग मिलकर ड्यूटी पर तैनात एक हवलदार को “लॉ एंड ऑर्डर” का लाइव डेमो दे डाला।
वर्ष 2022 बैच के अंडर ट्रेनी आईपीएस रोहित तंवर, जिनका भविष्य देश के कानून की रक्षा में बीतना चाहिए, उन्होंने रविवार की रात तय किया कि “कानून तो किताबों में अच्छा लगता है, ज़िंदगी में थोड़ा फन भी होना चाहिए।” इसलिए जब उनके दोस्त ने शराब पीकर गाड़ी चलानी चाही, और हवलदार हरभजन ने रोका — तो बात साफ़ थी:
“तू मुझे रोकेगा? जानता नहीं मैं कौन हूं!”
और इसके साथ ही एक थप्पड़ दिल्ली पुलिस के चेहरे पर—not सिर्फ हवलदार के, बल्कि पूरे सिस्टम के।
हवलदार की ‘गलती’?
उन्होंने कानून के मुताबिक काम किया था। बस… यही उनकी सबसे बड़ी चूक थी।
फिर क्या?
हवलदार को गाड़ी में ठूंसकर थाने ले जाया गया, मानो वो कोई किडनैपिंग नहीं, ऑफिशियल एस्कॉर्ट सर्विस हो।
थाने में फिर से झड़प, और फिर हवलदार ने वही किया जो आम जनता करती है—112 पर कॉल।
अब सीन में आए वरिष्ठ अधिकारी और शुरू हुआ सुलह-सफाई शो।
दिनभर की “थाने वाली क्लास” के बाद, अंडर ट्रेनी आईपीएस और उनके दोस्तों ने अंततः ‘माफीनामा’ लिखा।
(संभवत: यह उनका पहला “सरकारी प्रोजेक्ट” था जिस पर सीनियर्स की पूरी निगरानी थी।) और फिर सुकून से सब अपने-अपने घर चले गए।
कुछ अहम सबक, जो शायद आईपीएस अकादमी में नहीं पढ़ाए जाते:
1. शराब पीकर गाड़ी चलाना अपराध है, पर अगर आप “प्रशिक्षु अधिकारी” हैं, तो आपको “तजुर्बा” समझा जा सकता है।
2. कानून सबके लिए बराबर है, मगर कुछ लोगों के लिए थोड़ा “लचीला” भी होता है।
3. हवलदारों को ड्यूटी पर रहकर भी सोच-समझकर काम करना चाहिए, कहीं कोई VVIP की ego hurt न हो जाए।
4. और सबसे अहम – “माफीनामा” एक जादू की चिट्ठी है, जो थप्पड़, अपमान, बदसलूकी और पीसीआर कॉल — सब मिटा देती है।
जब कानून के नए ठेकेदार ही “लॉ के लफंगे” बन जाएं, तब वाकई यह सवाल उठता है कि “किससे इंसाफ़ की उम्मीद करें?”
शायद अब आईपीएस प्रशिक्षण में “संवेदनशीलता”, “सम्मान” और “नशे से दूरी” नाम के विषय जोड़ने का समय आ गया है।

VIKAS TRIPATHI
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