
व्यापारी राहुल मद्धेशिया के अपहरण के मामले में पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी के खिलाफ चल रहे केस में 23 साल बाद एक नया मोड़ आ गया है। अगवा किए गए राहुल ने ही शुक्रवार को कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर कहा कि उसके अपहरण में अमरमणि की कोई भूमिका नहीं रही थी। वह इस मामले में सुलहनामा दाखिल करना चाहता है।
वहीं, कोर्ट को एक और गुमनाम पत्र मिला है जिसमें गोरखपुर और लखनऊ में अमरमणि की कुछ और संपत्तियां बताई गई हैं। विशेष न्यायाधीश एमपीएमएलए कोर्ट प्रमोद गिरि ने दोबारा जांच कर संपत्ति कुर्क करने के लिए छह जुलाई तक कुर्की कुलिंदा न्यायालय में प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
बस्ती के रहने वाले व्यापारी मद्देशिया ने शुक्रवार को कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर कहा कि उसके अपहरण में अमरमणि की कोई भूमिका नहीं थी। वह उन्हें जानता-पहचानता तक नहीं है और न ही कभी उनसे मिला है। उसके अपहरण के दौरान किसी व्यक्ति ने उसके सामने अमरमणि का नाम भी नहीं लिया था।
यह है मामला:
6 दिसंबर, 2001 को व्यापारी धर्मराज मद्धेशिया के बेटे राहुल का अपहरण हो गया था। उसे अमरमणि के लखनऊ स्थित आवास से पुलिस ने बरामद किया था। कोतवाली थाने में अमरमणि समेत नौ पर अपहरण का मामला दर्ज किया गया था।
कानूनी तौर पर सुलह का प्रस्ताव अप्रासंगिक हो सकता है: विशेषज्ञों का कहना है कि इस केस में कुर्की की कार्रवाई गैंगस्टर की धारा में कोर्ट में पेश न होने की वजह से चल रही है। केस की नवैयत से अभी इसका कोई लेना-देना नहीं है। वरिष्ठ अधिवक्ता कृष्ण मोहन उपाध्याय ने बताया कि गैंगस्टर केस में पुलिस वादी होती है। इसलिए कोई अन्य सुलह नहीं कर सकता। वहीं आईपीसी में अपहरण की धारा में सुलह का प्रावधान नहीं है। जो कुछ होना है वह ट्रायल के समय ही हो सकता है। सबसे अहम बात यह है कि अपहरण का केस दर्ज कराने वाले राहुल के पिता का निधन हो चुका है। वादी के न रहने पर कोई अन्य सुलह नहीं कर सकता।