नोएडा,:घुटनों के दर्द की समस्या अब केवल वृद्धावस्था तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह युवाओं में भी तेजी से उभर रही है। इसी चिंताजनक प्रवृत्ति पर ध्यान केंद्रित करते हुए आज First One Rehab Centre द्वारा “Knee Pain Management and its Causes” विषय पर एक विशेष अध्ययन संगोष्ठी एवं व्यावहारिक कार्यशाला (वर्कशॉप) का आयोजन किया गया। यह आयोजन चिकित्सा, फिजियोथेरेपी और पुनर्वास चिकित्सा (rehabilitation) के क्षेत्र में कार्य कर रहे प्रोफेशनल्स, स्टूडेंट्स और हेल्थ वेलनेस एक्सपर्ट्स के लिए अत्यंत उपयोगी रहा।
प्रमुख विशेषज्ञों की उपस्थिति
कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने के लिए देश के प्रमुख विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया था। इनमें डॉ. सुष्मिता भाटी, डॉ. दीक्षा श्रीवास्तव और डॉ. महिपाल सिंह प्रमुख वक्ता रहे, जिन्होंने घुटनों के दर्द के विभिन्न पहलुओं — जैसे कि इसके कारण, निदान, और नवीनतम उपचार तकनीकें — पर विस्तार से चर्चा की।
वर्क-रिलेटेड और लाइफस्टाइल समस्याएं नई चुनौती
डॉ. महिपाल सिंह, जिन्होंने इस क्षेत्र में 15 वर्षों से अधिक का अनुभव अर्जित किया है, ने बताया कि वर्तमान समय में घुटनों के दर्द का स्वरूप पूरी तरह से बदल चुका है। उन्होंने कहा:“अब यह दर्द सिर्फ बुज़ुर्गों की समस्या नहीं रह गई है। ऑफिस में लंबे समय तक बैठना, शारीरिक गतिविधियों की कमी, स्क्रीन टाइम में वृद्धि, और लगातार गलत पोस्चर जैसे कारणों से 18-25 साल की उम्र के युवा भी घुटनों के दर्द से पीड़ित हो रहे हैं।”
उन्होंने यह भी जोर दिया कि इस तरह के मामलों में शुरुआती अवस्था में ही अगर सही थेरेपी शुरू कर दी जाए, तो 80% तक राहत केवल फिजियोथेरेपी और ऑक्यूपेशनल थेरेपी से संभव है, जिससे भविष्य में घुटने की सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती।
प्रैक्टिकल सेशन्स और केस स्टडीज
वर्कशॉप के दौरान प्रतिभागियों को लाइव डेमोन्स्ट्रेशन, केस स्टडीज और विश्लेषणात्मक व्याख्यानों के माध्यम से प्रशिक्षण दिया गया। यह सत्र विशेष रूप से एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ फिजियोथेरेपी के विद्यार्थियों के लिए लाभकारी रहा, जिन्होंने सैद्धांतिक ज्ञान को व्यवहारिक रूप में समझने का अवसर पाया।
विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति
इस अवसर पर डॉ. भावना आनंद, सुरभि जैन, और स्पीच थेरापिस्ट कृष्णा यादव विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं। उन्होंने इंटर-डिसिप्लिनरी एप्रोच पर जोर देते हुए बताया कि कैसे फिजियोथेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी और स्पीच/कॉग्निटिव थेरेपी एक साथ मिलकर समग्र पुनर्वास प्रणाली को मजबूत बनाते हैं।
कार्यक्रम संचालन और सहभागिता
पूरा कार्यक्रम अत्यंत व्यवस्थित रूप से पियूष कंडपाल और दिव्या कार्की द्वारा संचालित किया गया, जिन्होंने सत्रों के बीच संवाद बनाए रखते हुए प्रतिभागियों को जोड़े रखा। इस वर्कशॉप में लगभग 50 से अधिक लोगों ने भाग लिया, जिनमें से 10 पेशेवर थेरेपिस्ट और 40 से अधिक छात्र-छात्राएं शामिल थे।
उद्देश्य और सामाजिक संदेश
कार्यक्रम का मूल उद्देश्य लोगों को घुटनों के दर्द से जुड़ी आधुनिक चिकित्सा विधियों, प्राकृतिक निवारक उपायों, और जीवनशैली में बदलाव के महत्व के प्रति जागरूक करना था। विशेषज्ञों ने बताया कि सर्जरी ही एकमात्र समाधान नहीं है, बल्कि सही समय पर उपचार और नियमित व्यायाम के माध्यम से इस समस्या से पूरी तरह निजात पाई जा सकती है।
यह कार्यशाला न केवल चिकित्सकीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण रही, बल्कि यह युवाओं में स्वास्थ्य के प्रति चेतना और जीवनशैली में सुधार की आवश्यकता को भी रेखांकित करती है। First One Rehab Centre द्वारा आयोजित इस तरह के कार्यक्रम समाज में स्वास्थ्य के प्रति एक सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में सार्थक कदम हैं।