आज EMCT (Empowering Minds for Change and Transformation) के वालंटियर्स द्वारा बच्चों के समग्र विकास के लिए एक प्रेरणादायक और बहुआयामी कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य बच्चों को सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि तकनीकी दक्षता, स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और आत्म-विश्वास से युक्त जीवन जीने की दिशा में प्रेरित करना था।
तकनीकी शिक्षा सत्र: AI की दुनिया से परिचय
कार्यक्रम का विशेष आकर्षण रहा — कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) पर संवादात्मक कार्यशाला, जिसे इंद्रप्रस्थ सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली (IIIT-Delhi) के विद्यार्थियों — युग ब्रह्मभट्ट, शिवांक राजपूत, अर्नव मक्कड़, आलभ्य झा, अलतमश हसनैन, व्योम सितापारा और डेमेरा सत्य — ने बच्चों के लिए सरल, रोचक और सहभागितापूर्ण शैली में प्रस्तुत किया।
छोटी मिल्क बिसरख स्थित प्राथमिक विद्यालय के कक्षा तीन से पाँच तक के बच्चों को यह बताया गया कि AI क्या है, यह कैसे काम करता है, और कैसे बच्चे खुद निर्देश देकर AI से चित्र बनवा सकते हैं — यानी कल्पनाओं को डिजिटल रूप में देख सकते हैं।
इस सत्र के दौरान बच्चों को अपने स्कूल, पढ़ाई और जिज्ञासाओं से जुड़े सवाल पूछने का अवसर भी दिया गया, जिससे सत्र केवल शिक्षाप्रद ही नहीं बल्कि आनंददायक भी बना।
स्वास्थ्य और स्वच्छता पर विशेष जागरूकता सत्र
स्वास्थ्य एवं स्वच्छता पर एक प्रभावशाली सत्र का संचालन दिल्ली की प्रतिष्ठित सैलून संचालिका सीमा खुराना ने अपनी टीम के साथ किया। उन्होंने बच्चों को व्यक्तिगत स्वच्छता की मूल बातें — जैसे नाखून साफ़ रखना, बालों की देखभाल, हाथ धोने की आदत और दैनिक स्वच्छता — को अत्यंत सरल और बच्चों की भाषा में समझाया।
कार्यक्रम के अंत में बच्चों के लिए एक विशेष सैलून-स्टाइल हेयरकट सेशन भी आयोजित किया गया, जिससे बच्चों के आत्मविश्वास में अद्भुत वृद्धि देखने को मिली। यह सत्र न केवल सौंदर्य से जुड़ा था, बल्कि यह बच्चों में स्वच्छता और आत्मसम्मान के महत्व को भी उजागर करता है।
सम्माननीय उपस्थिति और समर्पण
इस आयोजन में EMCT की संस्थापक एवं समाज सेविका श्रीमती रश्मि पाण्डेय, विद्यालय के प्रधानाध्यापक श्री इकरार ख़ान, तथा शिक्षिकाएँ सरोज मौर्य, श्रीमती शालिनी चक्रवर्ती और श्रीमती पिंकी सहित कई शिक्षकों और गणमान्य अतिथियों ने सहभागिता की।
EMCT का लक्ष्य: ज्ञान से आत्मनिर्भरता तक
EMCT का स्पष्ट उद्देश्य है — बच्चों को केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रखकर उन्हें तकनीक, स्वास्थ्य, संस्कार और जीवन-कौशल के संतुलित समागम से एक सशक्त, जागरूक और आत्मनिर्भर नागरिक के रूप में तैयार करना।
यह कार्यक्रम न केवल बच्चों के जीवन में नई ऊर्जा और जिज्ञासा लेकर आया, बल्कि यह समाज के लिए एक सशक्त संदेश भी था — शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ परीक्षा पास करना नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला सिखाना है।