बेंगलुरु: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े एक प्रमुख मामले में कर्नाटक राज्य वक्फ बोर्ड को ₹3.82 करोड़ की संपत्ति वापस सौंप दी है। यह राशि वर्ष 2016-17 के दौरान एक सुनियोजित धोखाधड़ी के तहत विजया बैंक और वक्फ बोर्ड के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से फर्जी कंपनियों के खातों में ट्रांसफर कर दी गई थी। अदालत के आदेश पर ईडी ने इस राशि को वक्फ बोर्ड को लौटाया।
कैसे हुआ था घोटाला?
जांच के अनुसार, वक्फ बोर्ड ने विजया बैंक में दो फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) खोलने के लिए ₹4 करोड़ से अधिक की राशि के दो चेक जारी किए थे। लेकिन बैंक अधिकारियों और वक्फ बोर्ड के कर्मचारी सैयद सिराज अहमद की मिलीभगत से यह राशि एफडी के बजाय फर्जी कंपनियों के खातों में ट्रांसफर कर दी गई।
₹4 करोड़ में से एक बड़ी रकम M/s Verkeys Realities Pvt. Ltd. के खाते में भेजी गई, जिसने इस रकम में से ₹1.10 करोड़ की मर्सिडीज कार खरीद डाली।
शेष ₹2.72 करोड़ M/s Ajay Sharma Trading Corporation नाम की एक अन्य फर्जी फर्म को ट्रांसफर कर दी गई।
ED की सख्त कार्रवाई
जैसे ही ईडी ने मनी ट्रेल और बैंक ट्रांजेक्शनों की जांच की, उसने ₹3.82 करोड़ की संपत्तियों को जब्त कर प्रोविजनल अटैचमेंट ऑर्डर जारी किया। 31 मार्च 2017 को ईडी ने इस मामले में शुशीला चिंतामणि और अन्य छह व्यक्तियों व संस्थाओं के खिलाफ बेंगलुरु की विशेष पीएमएलए अदालत में अभियोजन मामला दर्ज किया।
अदालत के आदेश पर हुई राशि की वापसी
1 जुलाई 2025 को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के आदेश के अनुसार, ईडी ने कानूनी दावेदार कर्नाटक वक्फ बोर्ड को ₹3,82,74,444 मूल्य की संपत्ति रिलीज कर दी। ईडी ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि यह कदम वित्तीय धोखाधड़ी के पीड़ितों को न्याय दिलाने की उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
एक और कार्रवाई: GST इनपुट टैक्स क्रेडिट घोटाले में चार मास्टरमाइंड पर मुकदमा
वहीं दूसरी ओर, ईडी ने 5 जुलाई को PMMLA-2002 के तहत एक बड़े GST इनपुट टैक्स क्रेडिट धोखाधड़ी सिंडिकेट के चार मास्टरमाइंड — शिव कुमार देवड़ा, मोहित देवड़ा, अमित कुमार गुप्ता, और अमित अग्रवाल उर्फ विक्की भलोटिया — के खिलाफ अभियोजन शिकायत दायर की है।
इन आरोपियों पर फर्जी बिलिंग, शेल कंपनियों के माध्यम से लेनदेन और फर्जी ITC क्लेम कर सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाने का आरोप है।