
गाजीपुर – मरदह क्षेत्र में स्थित महाहर धाम महाशिवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र बनता है। इस पावन पर्व पर हजारों भक्त भगवान शिव के तेरहमुखी शिवलिंग के दर्शन और पूजन के लिए यहां एकत्रित होते हैं। महाशिवरात्रि के दिन मंदिर परिसर में भोर से ही भक्तों की लंबी कतारें देखी जाती हैं, जो बाबा भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उत्सुक रहते हैं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाहर धाम का संबंध त्रेता युग से है। कहा जाता है कि अयोध्या के महाराज दशरथ ने पुत्र प्राप्ति और श्राप से मुक्ति के लिए यहां तेरहमुखी शिवलिंग की स्थापना की थी। यह वही स्थान है जहां राजा दशरथ ने गलती से श्रवण कुमार को घायल कर दिया था, जिसके कारण उन्हें पुत्र वियोग का श्राप मिला।
मंदिर के दक्षिण में स्थित श्रवणडीह गांव में आज भी श्रवण कुमार का स्मारक मौजूद है, जो इस पौराणिक घटना की याद दिलाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार को इस स्थल को पर्यटक केंद्र के रूप में विकसित करने पर विचार करना चाहिए।
महाशिवरात्रि के अलावा, सावन मास में भी महाहर धाम में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। महाहर धाम की पौराणिक और धार्मिक महत्ता के कारण यह स्थल शिवभक्तों के लिए विशेष आस्था का केंद्र बना हुआ है।