नोएडा:– पूर्वांचल के सबसे बड़े आस्था पर्व छठ महापर्व को लेकर एक बार फिर नोएडा प्राधिकरण की कार्यशैली सवालों के घेरे में है। सेक्टर-43 स्थित गोदरेज अपार्टमेंट्स के सामने वाले पार्क में स्थायी छठ पूजा घाट के निर्माण की मांग को लेकर स्थानीय श्रद्धालुओं ने 1 सितंबर को नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा अथॉरिटी) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) को सामूहिक रूप से प्रार्थना पत्र सौंपा।
हर साल सिर्फ आश्वासन, कार्रवाई शून्य
श्रद्धालुओं का कहना है कि यह प्रार्थना पत्र हर वर्ष दिया जाता है, लेकिन प्राधिकरण की ओर से आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। नतीजतन हर बार अस्थायी इंतज़ामों के बीच हजारों श्रद्धालुओं को पूजा करनी पड़ती है, जिससे अव्यवस्था और दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है।
महिलाओं को झेलनी पड़ती है सबसे ज्यादा कठिनाई
छठ व्रत करने वाली महिलाओं ने बताया कि अर्घ्य के समय उन्हें पानी में खड़ा होना पड़ता है। असमान और कच्चे घाटों पर भीड़ के बीच अक्सर महिलाओं के पैर कटने या घायल होने की घटनाएं सामने आती हैं। श्रद्धालुओं ने इसे ‘आस्था के साथ खिलवाड़’ बताते हुए कहा कि सुरक्षित और स्वच्छ घाट की व्यवस्था प्रशासन की जिम्मेदारी है।
आसपास की कॉलोनियों से उमड़ती है भीड़
सादरपुर, छलेरा, सेक्टर-41, 44, 45 सहित कई कॉलोनियों से हजारों लोग छठ पर सेक्टर-43 स्थित इस पार्क में जुटते हैं। श्रद्धालुओं का कहना है कि अस्थायी इंतजाम हर साल नाकाफी साबित होते हैं और भीड़ को संभालना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। यदि यहां स्थायी घाट का निर्माण हो जाए, तो पूजा व्यवस्था सुचारू होगी और श्रद्धालुओं को सुरक्षा व सम्मान के साथ आस्था निभाने का अवसर मिलेगा।
बार-बार की गई उपेक्षा
छठ पूजा समिति से जुड़े लोगों ने बताया कि वे वर्षों से इस मांग को उठा रहे हैं। इस बार भी प्रशांत भारती, अंकुश कुमार, पूनम देवी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने सामूहिक हस्ताक्षर कर पत्र सौंपा, लेकिन अब तक प्राधिकरण की ओर से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला।
प्रशासन से सीधे सवाल
स्थानीय लोगों ने तंज कसते हुए कहा कि जब नोएडा प्राधिकरण करोड़ों रुपये की परियोजनाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च कर सकता है, तो श्रद्धालुओं की आस्था और सुरक्षा को लेकर उदासीनता दुर्भाग्यपूर्ण है। उनका स्पष्ट कहना है कि इस साल छठ महापर्व से पहले स्थायी घाट का निर्माण होना ही चाहिए।
अब देखना यह होगा कि प्राधिकरण इस बार भी मांग को टाल देता है या फिर हजारों श्रद्धालुओं की भावनाओं का सम्मान करते हुए स्थायी घाट के निर्माण का निर्णय लेता है।