नई दिल्ली/जोधपुर/नागपुर:राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) अपनी शताब्दी वर्ष की तैयारियों के शिखर-काल में है। अगस्त के आख़िरी सप्ताह से सितम्बर की पहली छमाही और 2 अक्तूबर तक संगठन ने तीन बड़े कार्यक्रमों-श्रृंखला की रूपरेखा तैयार की है — दिल्ली में केंद्रिय संवाद, जोधपुर में अखिल भारतीय समन्वय बैठक और नागपुर में विजयादशमी-शिखर समारोहोत्सव।
1.दिल्ली (26–28 अगस्त) “100 Varsh ki Sangh Yatra: Naye Kshitij” (Vigyan Bhavan)
क्या है: संघ शताब्दी वर्ष के अवसर पर 26–28 अगस्त को दिल्ली के Vigyan Bhavan में तीन दिवसीय संवाद शृंखला आयोजित की जा रही है, शीर्ष-आयोजन का शीर्षक है “100 वर्ष की संघ यात्रा : नए क्षितिज”। इसमें सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत मुख्य वक्ता होंगे और वे समाज के विभिन्न क्षेत्रों के नेताओं, बुद्धिजीवियों और जन-प्रतिनिधियों के साथ संवाद करेंगे।
किसे बुलाया गया है: कार्यक्रम में मीडिया, संस्कृति, शिक्षा, कूटनीति, धार्मिक-नेतृत्व और नागरिक समाज के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है; उद्देश्य शताब्दी की थीमों पर बहु-विषयक संवाद और पब्लिक-फ्रेमिंग है।
क्या अपेक्षा रखें: वक्तव्य–शृंखला का लक्ष्य शताब्दी के एजेंडे (जैसे सामाजिक एकता, पर्यावरण, पारिवारिक-मूल्य) को सार्वजनिक विमर्श में मजबूती से उतारना और नये श्रोताओं तक संदेश पहुंचाना है।
2.जोधपुर (5–7 सितंबर)—अखिल भारतीय समन्वय बैठक
क्या है: संघ की पारम्परिक तीन-दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय बैठक इस वर्ष 5–7 सितंबर को जोधपुर में आयोजित होगी; इसमें संघ प्रमुख मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, सह-सरकार्यवाह और संघ-प्रेरित लगभग 32 अनुषांगिक संगठनों के चयनित वरिष्ठ पदाधिकारी भाग लेंगे।
एजेंडा: बैठक में राष्ट्रीय एकता, सुरक्षा, सामाजिक कल्याण, आपसी समन्वय, तथा हाल की घटनाओं का सामूहिक विश्लेषण और आगामी कार्यक्रमों (विशेषकर शताब्दी-संबंधी समन्वय) पर चर्चा की जाएगी। मीडिया और राजनीतिक पर्यवेक्षकों की निगाहें इस बैठक पर इसलिए भी टिकी होंगी क्योंकि यहाँ से निगमित कार्यसूची और समन्वय के ठोस निर्णय निकलते हैं।
राजनीतिक परिप्रेक्ष्य: परंपरागत रूप से इस समन्वय बैठक का दायरा केवल संगठनात्मक नहीं रहता; यहाँ से सामाजिक-राजनीतिक रणनीतियाँ, शाखागत अभियानों का कैलेंडर और सहयोगी संगठनों के साथ समन्वय की रूपरेखा तय होती है।
3.नागपुर (2 अक्टूबर)—विजयादशमी: शताब्दी वर्ष का औपचारिक शुभारम्भ
क्या है: आरएसएस अपना शताब्दी-वर्ष 2 अक्तूबर 2025 को पारंपरिक रूप से नागपुर (Reshimbagh) में मनाएगा; इस विजयादशमी-समारोह को शताब्दी समारोह का औपचारिक आरंभ माना जा रहा है। सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत वहां संबोधित करेंगे और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे — यह आमंत्रण प्रतीकात्मक और रणनीतिक दोनों अर्थों में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
राष्ट्रीय-स्तरीय विस्तार: शताब्दी वर्ष में देशभर की हर शाखा पर विजयादशमी कार्यक्रम आयोजित होंगे; स्वयंसेवक घर-घर जाकर शताब्दी के उद्देश्यों व साझा कार्यक्रमों की जानकारी देंगे और व्यापक जन-संपर्क तथा ग्रासरूट-सक्रियता पर बल दिया जाएगा।
आयोजन-लॉजिस्टिक्स व सुरक्षा
तीनों आयोजनों के लिए संबंधित स्थानीय प्रशासन, सुरक्षा एजेंसियाँ और संघ के स्वयंसेवक समन्वय कर रहे हैं — स्थल-सुरक्षा, आवागमन, मीडिया-प्रवेश और भीड़-प्रबंधन के विस्तृत प्रबंध किए जा रहे हैं। विशेष रूप से दिल्ली-Vigyan Bhavan एवं नागपुर-Reshimbagh कार्यक्रमों में राष्ट्रीय स्तर के प्रतिभागी और उच्च-प्रोफ़ाइल अतिथि होने के कारण सुरक्षा-प्रोटोकॉल कड़े रखे जाएंगे।
राजनीतिक और सामजिक मायने — संक्षेप विश्लेषण
1.ब्रांडिंग और री-इमेजिंग: शताब्दी कार्यक्रम आरएसएस के लिए संगठन-ब्रांडिंग और व्यापक सामाजिक संदेश को पुनःनिर्धारित करने का अवसर है — विशेषकर जब प्रमुख सार्वजनिक हस्तियाँ और पूर्व राष्ट्रपतियों जैसा द्बैविक समावेशन दिखे।
2.ग्रासरूट-मजबूती: विजयादशमी-पर्यायोजन और शाखा-स्तरीय गतिविधियाँ संगठन की जमीनी पहुंच और स्थानीय नेटवर्क को और सशक्त करेंगी।
3.रणनीतिक समन्वय: जोधपुर की समन्वय बैठक से निकले निर्देश और संयुक्त कार्यक्रम-कैलेंडर शताब्दी वर्ष के कार्यक्रमों का क्रियान्वयन सुनिश्चित करेंगे और सामाजिक-राजनीतिक विमर्श पर प्रभाव डाल सकते हैं।
अगले कुछ हफ्तों में दिल्ली-जोधपुर-नागपुर की शृंखला आरएसएस के शताब्दी-वर्ष को आकार देगी। ये कार्यक्रम केवल उत्सव नहीं; संगठनात्मक समन्वय, सार्वजनिक संदेश और देशव्यापी सक्रियता का फॉर्मूला हैं — और जिन फैसलों का विराट असर रहेगा, वे न केवल संघ-परिवार के भीतर, बल्कि व्यापक सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य में भी महसूस होंगे।