
नई दिल्ली: मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में दिल्ली सरकार ने राजधानी में प्रदूषण को कम करने के लिए एक नवीन योजना पर काम करना शुरू कर दिया है। सरकार ने कृत्रिम बारिश (आर्टिफिशियल रेन) की टेस्टिंग करने की योजना बनाई है, जिससे दिल्ली और एनसीआर के प्रदूषित इलाकों में वायु गुणवत्ता में सुधार लाने की उम्मीद है। हालांकि, इस योजना की सफलता का निर्धारण वॉटर सैंपल टेस्टिंग के परिणामों पर निर्भर करेगा।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि सरकार ने एंटी पॉल्यूशन प्रोजेक्ट्स की एक व्यापक श्रृंखला तैयार की है, जिसका उद्देश्य स्थायी प्रभाव डालना है। उन्होंने कहा, “हम प्रदूषण को कम करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं और पिछले वर्षों की तुलना में बेहतर वायु गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए हमारे प्रयास तेज कर दिए गए हैं।”
कैसे होगी कृत्रिम बारिश?
कृत्रिम बारिश के तहत क्लाउड सीडिंग टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाएगा, जिसमें सिल्वर आयोडाइड, पोटैशियम आयोडाइड या सोडियम क्लोराइड जैसे रसायनों को बादलों में छिड़का जाता है। ये रसायन बादलों में संघनन को बढ़ावा देते हैं, जिससे बारिश होती है।
सरकार ने इस योजना के प्रभावों का आकलन करने के लिए एक विस्तृत स्टडी शुरू की है। इस स्टडी के तहत यह जांच की जाएगी कि कृत्रिम बारिश में इस्तेमाल होने वाले रसायन मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर किस प्रकार का प्रभाव डाल सकते हैं।
मंत्री सिरसा ने कहा,
“हमने एक रिपोर्ट मांगी है, जो यह स्पष्ट करेगी कि कृत्रिम बारिश में प्रयुक्त रसायन त्वचा या स्वास्थ्य पर कोई दुष्प्रभाव डालते हैं या नहीं। रिपोर्ट के आधार पर हम छोटे पैमाने पर बाहरी दिल्ली में परीक्षण करेंगे और पानी के नमूनों की जांच करेंगे।”
यदि परीक्षण सफल होता है और कोई हानिकारक प्रभाव नहीं पाया जाता, तो सरकार इस योजना को बड़े पैमाने पर लागू करेगी।
स्मॉग टावर पर मंत्री का बयान
दिल्ली में पहले लगाए गए स्मॉग टावर को लेकर मंत्री सिरसा ने इसे ‘विफल’ करार दिया। उनका कहना है कि स्मॉग टावर जैसी परियोजनाएं केवल सीमित क्षेत्र में काम करती हैं और इनका व्यापक प्रभाव नहीं होता।
“स्मॉग टावर समस्या का स्थायी समाधान नहीं है। हम प्रदूषण के स्रोतों को सीधे लक्षित कर रहे हैं, ताकि उन्हें समाप्त किया जा सके।”
सरकार ने इस दिशा में जल्द ही एक नई योजना की घोषणा करने का संकेत दिया है, जो दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को कम करने के लिए बहु-क्षेत्रीय स्तर पर काम करेगी।
प्रदूषण कम करने के अन्य उपाय
सरकार ने कृत्रिम बारिश के अलावा भी कई एंटी-पॉल्यूशन प्रोजेक्ट्स की योजना बनाई है, जिनमें शामिल हैं:
1. ग्रीन बेल्ट का विस्तार:
• राजधानी में हरित क्षेत्र को बढ़ाने के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाएंगे।
2. पर्यावरण-अनुकूल परिवहन:
• इलेक्ट्रिक बसों और वाहनों की संख्या बढ़ाई जाएगी और पब्लिक ट्रांसपोर्ट को प्रोत्साहित किया जाएगा।
3. धूल नियंत्रण उपाय:
• निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण के लिए एंटी-स्मॉग गन और ग्रीन नेट्स का उपयोग अनिवार्य किया जाएगा।
4. कचरा प्रबंधन:
• कचरा जलाने पर कड़ी पाबंदी लगाई जाएगी और कचरा प्रसंस्करण संयंत्रों को आधुनिक बनाया जाएगा।
विशेषज्ञों की राय
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि कृत्रिम बारिश अस्थायी राहत प्रदान कर सकती है, लेकिन इसे दीर्घकालिक समाधान के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया महंगी होती है और इसके लिए विशेष मौसम स्थितियों की भी आवश्यकता होती है।
पर्यावरणविद् डॉ. रश्मि शर्मा ने कहा,
“कृत्रिम बारिश प्रदूषण को कम करने का एक अस्थायी तरीका है। सरकार को इसके साथ-साथ प्रदूषण के स्रोतों पर नियंत्रण और जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है।”
क्या है आगे की राह?
24 मार्च को रिपोर्ट आने के बाद सरकार परीक्षण की तारीख और स्थान की घोषणा करेगी। यदि कृत्रिम बारिश सफल होती है, तो इसे अन्य प्रदूषित क्षेत्रों में भी लागू किया जा सकता है।
दिल्ली सरकार का यह कदम राजधानी के लोगों के लिए स्वच्छ हवा और बेहतर स्वास्थ्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास साबित हो सकता है। अब सभी की निगाहें वॉटर सैंपल टेस्टिंग के परिणामों पर टिकी हैं।

VIKAS TRIPATHI
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