
जम्मू-कश्मीर के शांत और सुरम्य पहलगाम की वादियों को उस वक्त गोलियों की गूंज ने दहला दिया, जब आतंकियों ने एक निहत्थे पर्यटक समूह पर कायराना हमला कर दिया। इस हमले में एक निर्दोष पर्यटक की जान चली गई, जबकि सात अन्य लोग घायल हो गए। हमला ऐसे समय पर हुआ है, जब कुछ ही हफ्तों में अमरनाथ यात्रा शुरू होने वाली है—जो इसे सिर्फ एक आतंकी हमला नहीं, बल्कि एक रणनीतिक साजिश का हिस्सा बनाता है।
हमले की जगह थी बैसरन गांव, जहां पर्यटक कश्मीर की खूबसूरती का आनंद ले रहे थे। आतंकियों ने अचानक गोलियों की बौछार शुरू कर दी। एक महिला पर्यटक ने रुआंसे स्वर में बताया कि उसके पति के सिर में गोली लगी है। घटना के बाद सुरक्षा बलों ने इलाके को घेर लिया है और सेना, पुलिस तथा सीआरपीएफ की संयुक्त टीमें तलाशी अभियान में जुटी हैं।
कश्मीर में पर्यटन पर आतंक का हमला—सिर्फ हिंसा नहीं, आर्थिक व सामाजिक हमले की साजिश
कश्मीर घाटी में आतंकवाद की रीढ़ टूट चुकी है, और यही बौखलाहट सीमा पार बैठे उनके आकाओं को अब ऐसे कायराना हमलों की ओर धकेल रही है। ये कोई पहला मौका नहीं है, जब आतंकियों ने पर्यटकों या तीर्थयात्रियों को निशाना बनाया हो। पिछले कुछ वर्षों में ऐसे कई हमले हुए हैं, जिनका मकसद सिर्फ जान लेना नहीं, बल्कि कश्मीर की छवि, वहां की अर्थव्यवस्था और अमन-पसंद माहौल को गहरा नुकसान पहुंचाना रहा है।
ऐसे हमलों की काली फेहरिस्त:
- 18 मई 2024: श्रीनगर में जयपुर से आए कपल पर आतंकी हमला।
- 9 जून 2024: रियासी में तीर्थयात्रियों की बस पर गोलियों की बौछार, 9 श्रद्धालुओं की मौत।
- 14 नवंबर 2005: श्रीनगर के लाल चौक में फिदायीन हमला, जापानी पर्यटक समेत 17 घायल।
- 4 जुलाई 1995: पहलगाम में 6 विदेशी पर्यटकों का अपहरण, एक की हत्या।
- 1-2 अगस्त 2000: अनंतनाग और डोडा में तीर्थयात्रियों पर हमले, 100 लोगों की मौत।
- 20 जुलाई 2001: अमरनाथ यात्रा के दौरान गुफा के पास कैंप पर हमला, 13 की मौत।
आखिर क्यों पर्यटकों और श्रद्धालुओं को चुनते हैं आतंकी?
1. कश्मीर की अर्थव्यवस्था पर चोट
कश्मीर में पर्यटन रोज़गार का बड़ा साधन है। होटल, टैक्सी, गाइड, दुकानदार—सभी की रोज़ी-रोटी पर्यटकों से जुड़ी है। आतंकियों के ऐसे हमलों का सीधा असर पर्यटन पर पड़ता है, जिससे हजारों स्थानीय लोग प्रभावित होते हैं।
2. दुनिया में गलत संदेश फैलाना
अगर घाटी में पर्यटक आएंगे, तो यह संदेश जाएगा कि कश्मीर अब सुरक्षित है। यह आतंकियों और उनके आकाओं को रास नहीं आता। इसलिए वे कश्मीर की सामान्य होती तस्वीर को खून से रंगना चाहते हैं।
3. सरकार और सुरक्षा तंत्र को चुनौती देना
ऐसे हमलों के जरिए आतंकी यह दिखाना चाहते हैं कि वो अभी भी मौजूद हैं। यह भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को धूमिल करने की कोशिश है—हालांकि अब यह चालाकी ज्यादा देर टिक नहीं पाती।
4. स्थानीय लोगों और भारत सरकार के बीच दरार डालना
स्थानीय लोग अब सरकार की योजनाओं और रोज़गार से जुड़ रहे हैं। आतंकियों को डर है कि अगर ऐसा चलता रहा तो उनके लिए जमीन पूरी तरह खिसक जाएगी। इसलिए वे ऐसे हमलों से डर का माहौल बनाकर स्थानीयों को सरकार से दूर करने की नाकाम कोशिश करते हैं।
यह हमला सिर्फ एक व्यक्ति की हत्या नहीं है, यह कश्मीर की शांति, विकास और आत्मनिर्भरता पर हमला है। लेकिन अब भारत न तो सहमेगा और न ही रुकेगा। घाटी में बहता खून, आने वाले समय में आतंक के अंत की पटकथा लिख रहा है। अमरनाथ यात्रा हो या पर्यटक—कश्मीर अब डर से नहीं, दृढ़ता से जिएगा।

VIKAS TRIPATHI
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