
राहुल गांधी ने हरियाणा चुनावी हार की समीक्षा बैठक में सीधे तौर पर पार्टी नेताओं को जिम्मेदार ठहराया। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के निवास पर आयोजित इस बैठक में गांधी ने हरियाणा कांग्रेस नेताओं पर स्वार्थी होने का आरोप लगाया और कहा कि उनकी वजह से पार्टी हार गई।
बैठक में पर्यवेक्षकों में अजय माकन, अशोक गहलोत, दीपक बावरिया और केसी वेणुगोपाल भी उपस्थित थे। सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी ने अधिकांश समय चुप्पी साधी रखी, लेकिन जब बोलने की बारी आई तो उन्होंने दो मजबूत बिंदुओं पर चर्चा की। पहला, उन्होंने ईवीएम और चुनाव आयोग पर सवाल उठाए और कहा कि वोटों की गिनती में क्या गलत हुआ, इस पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जानी चाहिए।
राहुल का यह बयान पार्टी के भीतर की गंभीर चिंताओं को उजागर करता है और पार्टी के नेताओं को आत्मनिरीक्षण के लिए प्रेरित करता है।
बैठक के दौरान राहुल गांधी के दूसरे बिंदु ने कमरे में सन्नाटा फैला दिया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि यह चुनाव कांग्रेस के पक्ष में जा सकता था, लेकिन स्थानीय नेताओं ने पार्टी के बजाय अपनी प्रगति पर ध्यान दिया। राहुल उस वक्त नाराज हो गए जब अधिकांश नेता ईवीएम को हार का कारण बताने लगे। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने कहा कि वह ईवीएम की विस्तृत जानकारी चाहते हैं, लेकिन असली मुद्दा यह है कि नेता आपस में लड़ते रहे और पार्टी के हितों को नजरअंदाज किया।
यह कहते हुए राहुल गांधी बैठक से उठकर चले गए। सूत्रों का मानना है कि उनका हमला केवल हुड्डा परिवार पर नहीं, बल्कि सभी नेताओं पर था। इस हार की समीक्षा के लिए एक समिति गठित की जा रही है, जो चुनावी हार के कारणों की पड़ताल करेगी।
कांग्रेस में आंतरिक कलह कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में गुटबाजी ने पार्टी को नुकसान पहुंचाया है, और हरियाणा इसका ताजा उदाहरण है।
राहुल गांधी की चुनौती: हरियाणा के बाद अब महाराष्ट्र में अंदरूनी कलह से निपटना बड़ी प्राथमिकता
राहुल गांधी हरियाणा कांग्रेस की अंदरूनी कलह से पहले से ही अवगत थे। इसी कारण, उन्होंने जमीनी रिपोर्टों के आधार पर कदम उठाया और कुमारी सैलजा और हुड्डा को एकसाथ काम करने के लिए प्रेरित किया था। लेकिन उनकी कोशिशें सतही साबित हुईं, क्योंकि दोनों नेताओं के बीच तालमेल कभी नहीं बैठ सका। अब हरियाणा के बाद राहुल के सामने महाराष्ट्र में भी यही चुनौती खड़ी है, जहां कांग्रेस गंभीर गुटबाजी से जूझ रही है।
महाराष्ट्र की स्थिति और भी पेचीदा है, क्योंकि यहां कांग्रेस, एनसीपी और उद्धव ठाकरे की शिवसेना के साथ गठबंधन में है। गठबंधन दलों ने पहले ही कांग्रेस को चेताया है कि अंदरूनी कलह से उन्हें भी नुकसान हो सकता है। ऐसे में कांग्रेस के लिए अपने घर को दुरुस्त करना बेहद जरूरी है, लेकिन सवाल यह है कि क्या हरियाणा की समीक्षा बैठक में राहुल गांधी का गुस्सा नेताओं को सोचने पर मजबूर कर पाएगा?
सूत्रों का कहना है कि हरियाणा जैसी स्थिति से बचने के लिए कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व कुछ नेताओं पर जल्द ही कड़ा कदम उठा सकता है। इस बीच, मीडिया में चल रही अटकलों और रिपोर्टों के बीच कांग्रेस ने एक आधिकारिक बयान जारी किया है: “पार्टी ने उम्मीदवारों द्वारा दर्ज की गई शिकायतों और गड़बड़ियों की जांच के लिए एक तकनीकी टीम भेजने का फैसला किया है। कांग्रेस पार्टी तथ्यान्वेषी टीम की रिपोर्ट के आधार पर विस्तृत प्रतिक्रिया जारी करेगी।”
महाराष्ट्र में भी इसी तरह की कार्रवाई की संभावना है, ताकि पार्टी के भीतर चल रही कलह को रोका जा सके।

VIKAS TRIPATHI
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