
गाजीपुर – मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) सुनील कुमार पांडे एक बार फिर सुर्खियों में हैं। हाल ही में एक बैठक के दौरान उनका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वह गाजीपुर के स्वास्थ्य विभाग की बदहाल स्थिति पर खुलकर बोलते नजर आ रहे हैं।
क्या है पूरा मामला?
सोमवार को जिला पंचायत सभागार में एक अहम बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें जिला पंचायत अध्यक्ष, सांसद, विधायक, ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत सदस्य सहित कई विभागों के अधिकारी मौजूद थे। इस बैठक का उद्देश्य जिला पंचायत अध्यक्ष और जिला पंचायत सदस्यों के बीच लंबे समय से चल रहे मतभेदों को दूर करना था।
बैठक में मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) सुनील कुमार पांडे भी मौजूद थे। जब स्वास्थ्य सेवाओं पर चर्चा हुई, तो उन्होंने स्वास्थ्य विभाग की दयनीय स्थिति पर खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा:
“मैं यहां स्वास्थ्य सेवाओं को तो देख सकता हूं, लेकिन डॉक्टर पैदा नहीं कर सकता। मुझे गाजीपुर के स्वास्थ्य विभाग में सुधार के लिए भेजा गया था, लेकिन अब हालात देखकर खुद सुधार गया हूं। अब यहां नहीं रहना चाहता। मैंने प्रमुख सचिव और स्वास्थ्य मंत्री को भी पत्र लिखा है। गाजीपुर में काम नहीं कर पाऊंगा, तंग आ गया हूं। राजनीति नहीं, नौकरी करने आया हूं।”
सपा विधायक ओमप्रकाश सिंह ने किया मामला शांत
CMO के इस बयान के बाद माहौल गरमा गया, लेकिन समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक ओमप्रकाश सिंह ने स्थिति को संभालते हुए उन्हें समझाने की कोशिश की। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग में उनकी सेवाओं की तारीफ की और डॉक्टरों की तैनाती को लेकर उदाहरण देते हुए उन्हें शांत कराया।
वीडियो हुआ वायरल, लोग ले रहे चटकारे
बैठक के दौरान दिया गया CMO का यह बयान अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। लोग इसे लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं—कुछ लोग उनकी बेबाकी की सराहना कर रहे हैं, तो कुछ इसे सरकारी तंत्र की विफलता से जोड़कर देख रहे हैं।
CMO ने प्रमुख सचिव को भेजा पत्र
CMO सुनील कुमार पांडे ने स्पष्ट कर दिया कि वे गाजीपुर में काम नहीं करना चाहते और इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्री और प्रमुख सचिव को पत्र भी भेज चुके हैं। अब देखना यह होगा कि सरकार उनकी इस मांग पर क्या निर्णय लेती है।
स्वास्थ्य सेवाओं पर उठे सवाल
CMO के इस बयान ने गाजीपुर के स्वास्थ्य विभाग की वास्तविक स्थिति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिले में चिकित्सकों की भारी कमी, संसाधनों की अनुपलब्धता और स्वास्थ्य सेवाओं में हो रही राजनीति जैसी समस्याएं पहले भी उठती रही हैं। CMO के इस बयान ने एक बार फिर इन मुद्दों को चर्चा में ला दिया है।