बिहार की आधी आबादी — यानी महिलाएं — हमेशा से राज्य की राजनीति में ‘गेम चेंजर’ साबित होती रही हैं। 2010 के चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मिला प्रचंड बहुमत काफी हद तक महिला वोटबैंक की बदौलत था। अब 2025 के चुनाव से पहले हर राजनीतिक दल इस सशक्त वर्ग को साधने में जुट गया है।
नीतीश की योजनाओं से लेकर तेजस्वी की घोषणा तक
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महिलाओं के लिए लगातार योजनाओं का ऐलान कर रहे हैं —
जीविका दीदी कार्यक्रम के तहत सवा करोड़ से अधिक महिलाओं को मुख्यमंत्री उद्यमी योजना में ₹10,000 की सहायता दी जा चुकी है।
आंगनबाड़ी सेविकाओं, शिक्षिकाओं और आशा कार्यकर्ताओं का मानदेय व वेतन भी बढ़ाया गया है।
अब तेजस्वी यादव ने महिला वर्ग को लुभाने के लिए एक और बड़ा दांव चला है। उन्होंने जीविका कम्युनिटी मोबाइलाइज़र को स्थायी करने और ₹30,000 मासिक मानदेय देने की घोषणा की है।
तेजस्वी की बड़ी घोषणा — 375 करोड़ रुपए हर माह का खर्च
बिहार में करीब 1.44 करोड़ जीविका दीदी हैं। तेजस्वी यादव के अनुसार, लगभग सवा लाख दीदियों को इस योजना के तहत प्रतिमाह ₹30,000 का मानदेय मिलेगा। इसका अर्थ है कि राज्य सरकार को प्रति माह करीब ₹375 करोड़ रुपए का वित्तीय भार उठाना होगा।
तेजस्वी ने इसके साथ कई अतिरिक्त घोषणाएँ भी कीं —
जीविका दीदियों के लोन का ब्याज माफ किया जाएगा।
ब्याज-मुक्त ऋण की सुविधा दी जाएगी।
हर दीदी को ₹2,000 मासिक भत्ता अन्य सरकारी कार्यों के निष्पादन के लिए दिया जाएगा।
₹5 लाख तक का बीमा कवर सभी कैडर की दीदियों को मिलेगा।
सीएलएफ और बीओ समूहों के अध्यक्ष एवं कोषाध्यक्ष को भी मानदेय दिया जाएगा।
‘माई-बहन-मान’ और ‘बेटी-मां योजना’
तेजस्वी यादव ने नई योजनाओं की झड़ी लगा दी है —
‘माई-बहन-मान योजना’ के तहत महिलाओं को ₹2,500 प्रतिमाह, यानी ₹30,000 सालाना, और पांच साल में ₹1.5 लाख तक की राशि मिलेगी।
‘बेटी-मां योजना’ के तहत बेटी के जन्म से लेकर उसकी आय सृजन तक की सरकारी व्यवस्था की जाएगी।
उन्होंने कहा कि हर मां को मकान, अन्न और आमदनी की गारंटी दी जाएगी।
इस घोषणा पर जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष ने पलटवार करते हुए कहा —
“हार के डर से तेजस्वी अब चांद-तारा तोड़ लाने की बात कर रहे हैं।”
3.5 करोड़ महिला मतदाता तय करेंगी बिहार की दिशा
बिहार में कुल 7.43 करोड़ मतदाता हैं —
पुरुष मतदाता: 3.92 करोड़
महिला मतदाता: 3.50 करोड़
ट्रांसजेंडर मतदाता: 1,725
दिव्यांग मतदाता: 7.2 लाख
पहली बार वोट देने वाले: 14 लाख
100 वर्ष से अधिक आयु वाले मतदाता: 14,000
सर्विस वोटर्स: 1.63 लाख
इनमें 3.5 करोड़ महिला मतदाता इस बार के चुनाव का ‘निर्णायक फैक्टर’ साबित हो सकती हैं।
साफ है कि 2025 का चुनाव महिला सशक्तिकरण बनाम वादों की राजनीति के इर्द-गिर्द घूमने वाला है — जहाँ हर पार्टी आधी आबादी को अपनी ओर खींचने में लगी है।














