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गाजियाबाद जिले की एडिशनल कमिश्नर पुलिस कल्पना सक्सेना पर हमले के मामले में बरेली कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने इस मामले में तीन पुलिसकर्मियों—रविंदर, रावेंद्र और मनोज—सहित एक ऑटो चालक धर्मेंद्र को दोषी ठहराया है। सभी दोषियों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है, और 24 फरवरी को उनकी सजा पर फैसला सुनाया जाएगा।
घटना 2010 की, जब ड्यूटी पर तैनात IPS अधिकारी पर हुआ हमला
यह मामला सितंबर 2010 का है, जब कल्पना सक्सेना बरेली में एसपी ट्रैफिक के पद पर कार्यरत थीं। निरीक्षण के दौरान उन्होंने नकटिया इलाके में तीन ट्रैफिक पुलिसकर्मियों को ट्रकों से अवैध वसूली करते हुए रंगे हाथों पकड़ा। जब उन्होंने उन्हें रोकने की कोशिश की, तो आरोपी पुलिसकर्मी कार लेकर भागने लगे।
गंभीर रूप से घायल हुई थीं कल्पना सक्सेना
भागती हुई कार को रोकने के लिए IPS कल्पना सक्सेना ने उसका दरवाजा पकड़ लिया, लेकिन आरोपियों ने वाहन नहीं रोका। इस दौरान वह सड़क पर घसीटती चली गईं और गंभीर रूप से घायल हो गईं। घटना के बाद तीनों पुलिसकर्मी फरार हो गए।
इस गंभीर मामले को देखते हुए, तत्कालीन एसएसपी ने आरोपियों को बर्खास्त कर दिया। हालांकि, हाई कोर्ट के आदेश पर उन्हें बहाल कर दिया गया, लेकिन बाद में हुई विभागीय जांच में फिर से दोषी पाए जाने पर एसएसपी रोहित सिंह सजवाण ने उन्हें दोबारा सेवा से हटा दिया।
पुलिस की लापरवाही और सबूत मिटाने की कोशिश
जांच के दौरान पुलिस की गंभीर लापरवाही भी उजागर हुई। विवेचक ने सबूत मिटाने की कोशिश की, जिससे केस कमजोर पड़ने लगा। यहां तक कि IPS कल्पना सक्सेना के गनर और ड्राइवर ने भी कोर्ट में आरोपी सिपाहियों की पहचान करने से इनकार कर दिया। यह साफ हो गया कि मामले को जानबूझकर कमजोर किया जा रहा था।
लेकिन कल्पना सक्सेना ने हार नहीं मानी। जब उन्हें लगा कि केस गलत दिशा में जा रहा है, तो उन्होंने वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी एस.के. सिंह, सहायक अभियोजन अधिकारी विपर्णा और सुप्रीम कोर्ट के वकील अभिषेक अमृतांशु की मदद से मामले को दोबारा मजबूत किया। उनके प्रयासों से केस फिर से जीवित हुआ और आरोपियों के खिलाफ फैसला आया।
कोर्ट की सख्त टिप्पणी: आम जनता को न्याय मिलना और भी मुश्किल
फैसले में कोर्ट ने पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि “जब एक IPS अधिकारी के मामले में पुलिस का ऐसा रवैया हो सकता है, तो आम जनता को न्याय मिलना और भी मुश्किल हो जाता है।”
इस मामले में भ्रष्टाचार और पुलिसिया मनमानी उजागर हुई, जिससे पूरे दिन कचहरी में चर्चा का माहौल बना रहा। अब सभी दोषियों को 24 फरवरी को कोर्ट द्वारा सजा सुनाई जाएगी।
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VIKAS TRIPATHI
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