
असम सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए पूरे राज्य में असमिया भाषा को सरकारी कामकाज की अनिवार्य भाषा घोषित कर दिया है। यह नियम आज मंगलवार, 15 अप्रैल से लागू हो गया है। हालांकि, यह बदलाव राज्य के सभी क्षेत्रों पर समान रूप से लागू नहीं होगा — बराक घाटी के तीन जिलों और बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (BTR) के पांच जिलों को इससे छूट दी गई है, जहां बांग्ला और बोडो भाषाएं क्रमशः लागू होंगी।
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस फैसले की घोषणा असम के पारंपरिक नववर्ष बोहाग बिहू के मौके पर की। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर उन्होंने लिखा,
“इस बोहाग से असम भर में सभी सरकारी अधिसूचनाओं, आदेशों, अधिनियमों आदि के लिए असमिया अनिवार्य रूप से आधिकारिक भाषा होगी। बराक घाटी में बांग्ला और बीटीआर में बोडो भाषा का प्रयोग किया जाएगा।”
कैबिनेट बैठक में हुई थी मंजूरी, अब राज्यव्यापी लागू
यह निर्णय मुख्यमंत्री सरमा की अध्यक्षता में 4 अप्रैल को हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया था। अब इसे विधिवत अधिसूचना के रूप में लागू कर दिया गया है। अधिसूचना राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह एवं राजनीतिक विभाग) अजय तिवारी द्वारा जारी की गई है।
इसके अनुसार—
- कछार, हैलाकांडी और करीमगंज (बराक घाटी) में अंग्रेज़ी के साथ बांग्ला,
- कोकराझार, चिरांग, बक्सा, उदलगुरी और तामुलपुर (BTR) में अंग्रेज़ी के साथ बोडो,
- तथा राज्य के बाकी हिस्सों में असमिया भाषा का प्रयोग अनिवार्य होगा।
केंद्र से आए आदेशों का 30 दिनों में होगा स्थानीय अनुवाद
राज्य सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि केंद्र सरकार से प्राप्त सभी अधिसूचनाएं, अधिनियम, नियम व आदेश संबंधित विभागों द्वारा 30 दिनों के भीतर स्थानीय भाषा में अनूदित कर प्रकाशित किए जाएंगे।
जहां बांग्ला या बोडो भाषा लागू होती है, वहां उसी भाषा में अनुवाद किया जाएगा।
इसके अतिरिक्त, सरकार ने यह भी निर्देश दिया है कि विभिन्न विभागों में संचित पुराने अधिनियमों, नियमों, अधिसूचनाओं और विनियमों को भी अगले दो वर्षों में चरणबद्ध रूप से स्थानीय भाषाओं में अनूदित किया जाएगा। इसके लिए विश्वविद्यालयों के भाषा विभागों की सहायता ली जाएगी।
हालांकि, अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि यदि किसी दस्तावेज़ के अनुवाद में विरोधाभास या कानूनी व्याख्या की आवश्यकता उत्पन्न होती है, तो अंग्रेज़ी संस्करण को ही मान्य माना जाएगा।
अंग्रेज़ी बनी रहेगी अंतर-राज्यीय संवाद की भाषा
अधिसूचना में यह भी साफ किया गया है कि केंद्र सरकार, अन्य राज्यों तथा उनके प्रतिष्ठानों से होने वाले संवाद में अंग्रेज़ी भाषा का प्रयोग यथावत जारी रहेगा।
राजनीतिक पृष्ठभूमि: चुनावी तैयारियों के संकेत?
गौरतलब है कि असम में भी अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में इस फैसले को सिर्फ सांस्कृतिक संरक्षण के तौर पर ही नहीं, बल्कि राजनीतिक रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) राज्य में अपनी स्थिति को और मजबूत करने के लिए लगातार लोकल भावनाओं और क्षेत्रीय पहचान को केंद्र में रखकर फैसले ले रही है।
भाषा के जरिए पहचान और प्रशासन को नया आधार
असम सरकार का यह कदम प्रशासन को स्थानीय भाषाओं से जोड़ने का एक बड़ा प्रयास है। यह ना केवल भाषाई समावेशिता को बढ़ावा देता है, बल्कि सरकारी प्रक्रियाओं को आम जनता के लिए और अधिक पहुंच योग्य और पारदर्शी भी बनाता है।

VIKAS TRIPATHI
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