Thursday, October 9, 2025
Your Dream Technologies
HomeDharmपितरों को संदेशवाहक माना गया है— ज्योतिषाचार्य पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री

पितरों को संदेशवाहक माना गया है— ज्योतिषाचार्य पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री

              ॐ अर्यमा न तृप्यताम इदं तिलोदकं तस्मै स्वधा नमः।ॐ मृत्योर्मा अमृतं गमय।

ज्योतिषाचार्य पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के अनुसार शास्त्रों में कहा गया है कि आर्यमा पितरों के देव हैं। हम जब अपनी श्रद्धा, भाव और कर्म से पित्रों (पितरों) को तृप्त कर देते हैं, तो वे हमारे और देवों के बीच सेतु बन जाते हैं। पितृ संतुष्ट होने पर उनके माध्यम से हमारी प्रार्थनाएँ देवों तक पहुँचती हैं और मनोवांछित फल शीघ्र प्राप्त होते हैं। कई बार हमें लगता है कि हमारी आराधना देवों तक नहीं पहुँच रही — ऐसी स्थिति में पितृपक्ष के अनुष्ठान, तर्पण और श्राद्ध अत्यंत उपयोगी सिद्ध होते हैं।


पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध व तर्पण — पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के निर्देश

1.प्रतिदिन तर्पण: पितृपक्ष में प्रतिदिन तिल, जल (तिलोदक), जौ और पुष्प के साथ पितरों का तर्पण करें। इससे पितृ प्रसन्न होते हैं और पित्र दोष कम होता है।

2.मृत्यु तिथि पर भोजन: अपने पितरों की मृत्यु तिथि पर किसी योग्य ब्राह्मण को अपने पूर्वजों की पसंद का भोजन अवश्य कराएँ — इससे पितरों का आशीर्वाद मिलता है।

3.शास्त्राध्ययन व जाप: पितृपक्ष में पितरों के नाम से श्रीमद्भागवata कथा, भागवद्गीता का पाठ, गरुड़ पुराण, नारायण बली, त्रिपिंडी श्राद्ध, महामृत्युंजय मंत्र का जप और पितृ गायत्री मंत्र की शांति कराने से पितरों को शांति मिलती है।

4.गया तीर्थ पर श्राद्ध: यदि संभव हो तो श्राद्ध के लिए गया जाकर पितरों का तर्पण अवश्य करें। ऐसा करने से पितृ शान्ति और पितृदोष से मोक्ष मिलता है।

5.यदि मृत्यु तिथि अज्ञात हो: यदि पितरों की मृत्यु तिथि ज्ञात न हो तो सर्व-पितृ अमावस्या पर उनका श्राद्ध करें; इससे भी पितृदोष से मुक्ति मिलती है।

6.नदी में स्नान व ब्राह्मण-भोजन: सर्व-पितृ अमावस्या तथा हर अमावस्या पर पवित्र नदी में स्नान करें। योग्य ब्राह्मण से श्राद्ध कराकर 13 ब्राह्मणों को भोजन कराएँ और अपनी सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा दें।

7.कौवों को भोजन: पितृपक्ष में कौवों को भोजन कराना शुभ माना जाता है, क्योंकि शास्त्रों में कहा गया है कि इस समय पितृ कौवों का रूप धारण कर धरती पर उपस्थित रहते हैं।

8.गाय की सेवा व पंचबलि: पितृपक्ष में गाय की सेवा अवश्य करें—गाय को आहार दें और गऊशाला में दान करें। पितृ पक्ष में पंचबलि (चींटी, कुत्ता, गाय, देव आदि और कौवा) देना भी शुभ फलदायी समझा जाता है।


महत्वपूर्ण तिथि: इस वर्ष पितृपक्ष 08 सितंबर 2025 (सोमवार) से प्रारम्भ हो रहे हैं।


संपर्क व अधिक जानकारी

ज्योतिष, वास्तु, वैदिक अनुष्ठान व धार्मिक कार्यों के लिए संपर्क करें:
ज्योतिषाचार्य: पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री
मो.: 9993652408, 7828289428

- Advertisement -
Your Dream Technologies
VIKAS TRIPATHI
VIKAS TRIPATHIhttp://www.pardaphaas.com
VIKAS TRIPATHI भारत देश की सभी छोटी और बड़ी खबरों को सामने दिखाने के लिए "पर्दाफास न्यूज" चैनल को लेके आए हैं। जिसके लोगो के बीच में करप्शन को कम कर सके। हम देश में समान व्यवहार के साथ काम करेंगे। देश की प्रगति को बढ़ाएंगे।
RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments

Call Now Button