उत्तर प्रदेश के इटावा में कथावाचकों के साथ हुई बदसलूकी की घटना ने प्रदेश की राजनीति में उबाल ला दिया है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए योगी आदित्यनाथ सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने न सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल उठाए, बल्कि बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री की भूमिका को भी कठघरे में खड़ा किया।
अखिलेश का बड़ा आरोप: “बीजेपी रच रही है पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ साज़िश”
घटना के बाद पीड़ितों से मुलाकात कर अखिलेश यादव ने आर्थिक सहायता प्रदान की और इसे केवल एक आपराधिक घटना नहीं, बल्कि एक सुनियोजित साजिश करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार अपने ‘राजनीतिक एजेंडे’ को आगे बढ़ाने के लिए पिछड़े वर्ग, दलित समुदाय और अल्पसंख्यकों को टारगेट कर रही है।
“यह सिर्फ इटावा की घटना नहीं, यह उस सोच का हिस्सा है जो सामाजिक समरसता को तोड़ना चाहती है,” — अखिलेश यादव
धीरेंद्र शास्त्री की भूमिका पर सवाल
अखिलेश यादव ने सीधे तौर पर बागेश्वर धाम के कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री पर सवाल उठाए और पूछा कि जब धर्म और आस्था पर हमला होता है, तो वे चुप क्यों रहते हैं? उन्होंने इसे एक तरफेदार धर्म-राजनीति का उदाहरण बताते हुए कहा कि धार्मिक मंचों का राजनीतिक इस्तेमाल अब खुलकर हो रहा है।
“कथावाचकों का अपमान, आस्था का अपमान”
सपा प्रमुख ने कहा कि धार्मिक कथावाचकों के साथ की गई बदसलूकी सिर्फ व्यक्तियों का नहीं, बल्कि आस्था और परंपरा का अपमान है। उन्होंने कहा कि अगर प्रदेश में कानून का राज होता तो इस तरह की घटनाएं नहीं होतीं।
योगी सरकार पर सीधा हमला
अखिलेश यादव ने प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि “योगी सरकार सिर्फ बुलडोजर चला सकती है, लेकिन अपराधियों पर नहीं, सिर्फ विरोधियों पर।” उन्होंने चेतावनी दी कि समाजवादी पार्टी ऐसे मामलों को लेकर सड़क से सदन तक लड़ाई लड़ेगी।
इटावा की घटना ने न सिर्फ धार्मिक मंचों की निष्पक्षता, बल्कि योगी सरकार की प्राथमिकताओं पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। इस प्रकरण को समाजवादी पार्टी ने बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना लिया है, जो आने वाले चुनावों में बीजेपी को घेरने का हथियार बन सकता है।