लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक अहम मोड़ आया है। सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह के बीच करीब तीन साल बाद हुई मुलाकात ने सियासी गलियारों में नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है। दिलचस्प यह है कि मंगलवार को खुद बृजभूषण शरण सिंह ने यह दावा कर हलचल और बढ़ा दी कि “मैं सीएम से मिलने खुद नहीं गया, बल्कि मुख्यमंत्री ने मिलने की इच्छा जताई थी।”
यह बयान मामूली नहीं है—यह उन राजनीतिक संदेशों में से है, जिनमें दिखता कुछ है और कहता कुछ और।
सीएम आवास पर 25 मिनट की बातचीत, सियासी गलियारों में उठा सवाल—”अब क्यों?”
पूर्व कैसरगंज सांसद बृजभूषण शरण सिंह सोमवार दोपहर बाद सीएम आवास पहुंचे, जहां उनकी और योगी आदित्यनाथ की बंद कमरे में करीब 25 मिनट तक बातचीत हुई। मुलाकात के बाद भले ही बृजभूषण ने इसे एक “स्वाभाविक” भेंट बताने की कोशिश की, लेकिन सवाल यह उठता है कि अगर सब कुछ सामान्य था तो तीन साल तक दूरी क्यों बनी रही? और अब अचानक ये बर्फ कैसे पिघल गई?
बृजभूषण-योगी संबंध: तल्खियों से भरोसे तक का सफर?
बृजभूषण शरण सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच का रिश्ता कभी भी सहज नहीं माना गया। ठाकुर वोट बैंक को लेकर अंदरूनी खींचतान की चर्चाएं भी समय-समय पर सामने आती रही हैं। बृजभूषण, पूर्वांचल में अपना अलग राजनीतिक कद रखते हैं और यही कारण रहा कि वे मुख्यमंत्री के बुलडोजर एक्शन पर खुलेआम सवाल उठाते रहे।
वो बुलडोजर कार्रवाई को “जनविरोधी” तक करार दे चुके हैं। ऐसे में अब अचानक यह बैठक होना कई सियासी संकेत छोड़ता है।
2024 में बेटे को टिकट मिलने के बाद बदली रणनीति?
2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने बृजभूषण को टिकट न देकर उनके बेटे को मैदान में उतारा था। इस फैसले को लेकर पार्टी के भीतर खामोश असंतोष और राजनीतिक दूरी की खिचड़ी पक रही थी। लेकिन अब यही दूरी अचानक नज़दीकी में बदल रही है।
जानकार मानते हैं कि बृजभूषण शरण सिंह अब भी भाजपा में वापसी की सक्रिय तैयारी में हैं और यह मुलाकात उसी रणनीति का हिस्सा हो सकती है।
पार्टी में वापसी की संभावनाएं या सिर्फ ‘Damage Control’?
सियासी विश्लेषकों का मानना है कि यह मुलाकात केवल एक औपचारिकता नहीं थी। योगी आदित्यनाथ का खुद उन्हें मिलने बुलाना इस बात का संकेत हो सकता है कि भाजपा बृजभूषण के प्रभाव को पूरी तरह नजरअंदाज नहीं कर सकती।
वहीं दूसरी ओर, बृजभूषण भी समझ चुके हैं कि सत्ता से दूरी उन्हें सीमित कर सकती है। ऐसे में यह एक राजनीतिक सुलह का प्रारंभ हो सकता है।
मुख्य बिंदु:
तीन साल बाद सीएम योगी और बृजभूषण शरण सिंह की मुलाकात
बृजभूषण का दावा – “सीएम ने मिलने बुलाया था”
मुलाकात के पीछे बुलडोजर पॉलिटिक्स और टिकट राजनीति भी चर्चा में
पूर्वांचल की सियासत में नए समीकरणों की संभावना
भाजपा में उनकी संभावित पुनर्स्थापना के संकेत
इस मुलाकात के मायने:
राजनीति में संयोग नहीं, संदेश होते हैं।
योगी-बृजभूषण की यह बैठक भी सिर्फ मुलाकात नहीं, एक संदेश है—भविष्य की रणनीति, समरसता की कोशिश और सियासी संतुलन का नया अध्याय।