
*पूत सपूत त का धन संचय,
पूत कपूत त का धन संचय*
यह घटना मन को अंदर से विचलित कर दे रही है कि समाज किस ओर जा रहा है? यह बहुत ही भयावह स्तिथि है। सच है कि संस्कारों को रौंद कर कभी भी सुंदर समाज की स्थापना नहीं हो सकती है।

कसया कुशीनगर बृद्धाश्रम में एक बाबा बसंत चौधरी जी रहते थे। परिवार के आपसी कलह के कारण ही बृद्धाश्रम में रहने को मजबूर हुए। कुशीनगर के ही एक ग्रामसभा के निवासी थे। विगत दिनों उनकी तबियत खराब हुई और संचालक विकास श्रीवास्तव जी के देख रेख में बाबा जिला अस्पताल से रेफर होने के बाद मेडिकल कॉलेज ICU में भर्ती हुए। लगभग 10 दिन तक वेंटिलेटर पर रहे और भर्ती के दौरान एक ही रट लगाए रहे की मेरे बेटे को बुला दीजिये !

अंतिम बार उसे देख लूं विकास जी ने बाबा के बेटे एवं परिजन को इसकी सूचना दी लेकिन कोई मिलने तक नही आया आखिरकार बाबा 10 दिनों से जिंदगी की जंग लड़ते लड़ते और बेटे की राह देखते देखते मेडिकल कॉलेज में ही अंतिम सांस ली। फिर विकास जी ने परिजन को सूचना दिए कि बाबा जी अब इस दुनिया में नहीं रहे। तब भी बेटे और परिजनो ने शव को लेने और अंतिम संस्कार करने से मना कर दिए।

इस विकट परिस्तिथि मेंसंस्थाकेसंचालक विकास जी ने अपने कुछ अन्य मित्रो को फोन किया और घटनाक्रम से अवगत कराया फिर क्या था कंधों से मिलते हैं कंधेक़दमों से क़दम मिलते हैंऔर स्माइल रोटी बैंक से आजाद पाण्डेय(श्रीकृष्ण पाण्डेय) अपनी स्माइल वैन लेकर मेडिकल कॉलेज पहुँचे और भी विकास जी के चित परचित लोग एकजुट होकर बाबा के शव को गाड़ी में रखकर के इस चिलचिलाती धूप में अंतिम संस्कार हेतु गोरखपुर के राजघाट पहुँचे। जहां लकड़ी एवं अन्य सामग्री खरीदकर लोगो ने हिन्दू विधिविधान से बाबा का अंतिम संस्कार किया और समाज मे एक नई मिशाल कायम की विकास जी की टिम को और स्माइल की टिम को पर्दाफास न्यूज टिम की तरफ से दिल से शैल्यूट!