बिहार विधानसभा चुनाव: विपक्षी महागठबंधन और जनसुराज पार्टी सरकार पर आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन और सरकारी फंड के दुरुपयोग के आरोप लगा रहे हैं। वहीं, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने इन आरोपों को पूरी तरह निराधार बताते हुए कड़े शब्दों में पलटवार किया है।
चिराग पासवान का जवाब — “आरोप बेबुनियाद, सबूत हो तो पेश करें”
चिराग पासवान ने कहा कि सरकार पर लगाए जा रहे आरोप पूरी तरह गलत और तथ्यहीन हैं। उन्होंने पवन वर्मा से पूछा कि उन्हें ऐसे आंकड़े और सूचनाएँ मिलती कहाँ से हैं। चिराग ने चुनौती देते हुए कहा कि यदि उनके पास कोई ठोस सबूत है तो वह पेश करें, इसके बाद सरकार आधिकारिक तौर पर जवाब देगी।
पवन वर्मा के आरोप क्या हैं?
जनसुराज नेता पवन वर्मा ने एक इंटरव्यू में दावा किया था कि—
बिहार का वर्तमान कर्ज 4,06,000 करोड़ रुपये पर पहुंच चुका है और
राज्य को प्रतिदिन 63 करोड़ रुपये ब्याज चुकाना पड़ रहा है।
वर्मा ने कहा कि उनके पास ऐसी जानकारी है—जो वे मानते हैं कि गलत भी हो सकती है—कि महिलाओं को ₹10,000 की वित्तीय सहायता allegedly विश्व बैंक द्वारा किसी अन्य परियोजना के लिए दिए गए 21,000 करोड़ रुपये में से दी गई।
उनका दावा है कि चुनाव आचार संहिता लागू होने के सिर्फ एक घंटे पहले लगभग 14,000 करोड़ रुपये निकालकर 1.25 करोड़ महिलाओं के खातों में भेजे गए।
वर्मा ने स्पष्ट किया कि यदि यह सूचना गलत साबित होती है तो वे क्षमा चाहेंगे, लेकिन अगर यह सच है तो यह “नैतिकता और प्रशासनिक मर्यादा” दोनों पर गंभीर प्रश्न खड़े करता है।
“महिलाओं को लगा एनडीए जीता तो ही पैसा मिलेगा” — वर्मा
पवन वर्मा ने कहा कि चुनाव के दौरान अफवाह फैली कि अगर एनडीए सत्ता में नहीं लौटा, तो शेष महिलाओं को पैसा नहीं मिलेगा।
उन्होंने दावा किया कि—
राज्य में लगभग 4 करोड़ महिला मतदाता हैं,
जिनमें से 2.5 करोड़ महिलाओं को यह राशि नहीं मिली,
बाकी महिलाओं को लगा कि सत्ता बदलने पर उन्हें लाभ नहीं मिलेगा, इसलिए उन्होंने एनडीए को वोट दिया।
वर्मा का कहना है कि नई पार्टी होने के बावजूद उनका संदेश जनता तक पहुँचा और उन्हें अच्छी प्रतिक्रिया मिली, हालांकि उनकी अपेक्षाएँ उससे कहीं अधिक थीं।














