बिहार विधानसभा चुनाव अब पूरे जोश पर है। पहले चरण की वोटिंग 6 नवंबर को होनी है और सभी राजनीतिक दलों ने प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर कई बड़े नेता मतदाताओं को रिझाने में जुटे हैं। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी अब बिहार के मैदान में उतर चुके हैं।
तीन जिलों में रैली — शहाबुद्दीन के गढ़ से शुरुआत
सीएम योगी बुधवार को बिहार के तीन जिलों — सीवान, भोजपुर और बक्सर में चुनावी सभाओं को संबोधित करेंगे।
उनकी पहली रैली सीवान जिले के रघुनाथपुर विधानसभा क्षेत्र में होगी, जो कभी कुख्यात डॉन से नेता बने मोहम्मद शहाबुद्दीन का गढ़ माना जाता था। इस बार आरजेडी ने उनके बेटे ओसामा शाहाब को मैदान में उतारा है, जबकि एनडीए की ओर से जेडीयू प्रत्याशी विकास कुमार सिंह अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
सीवान उत्तर प्रदेश से सटा हुआ जिला है और यह शहर योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि गोरखपुर से महज तीन घंटे की दूरी पर है। यहां योगी की हिंदुत्व छवि और उनका जनसंपर्क मजबूत माना जाता है।
दानापुर और सहरसा में पहले कर चुके हैं चुनावी वार
इससे पहले योगी आदित्यनाथ ने पटना के दानापुर और सहरसा में जनसभाएं की थीं। दानापुर में उन्होंने आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन पर हमला करते हुए कहा था कि विपक्ष “विकास बनाम बुर्के की राजनीति” कर रहा है।
सहरसा में भी उन्होंने महागठबंधन पर घुसपैठियों के जरिए फर्जी मतदान कराने की साजिश का आरोप लगाया था।
सीवान की सियासत: कभी शहाबुद्दीन का दबदबा, अब बेटे ओसामा की परीक्षा
1990 के दशक में सीवान में शहाबुद्दीन का वर्चस्व चरम पर था। लालू राज के दौरान उनका प्रभाव और भी बढ़ा। कहा जाता है कि सीवान में विपक्षी दल झंडा लगाने से भी डरते थे।
शहाबुद्दीन ने कई चुनाव जेल में रहकर लड़े और हर बार जीते। 2008 में आपराधिक मामलों के चलते उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगी तो उनकी पत्नी हीना शाहाब ने मोर्चा संभाला, लेकिन तीन बार कोशिश के बावजूद सफलता नहीं मिली।
अब आरजेडी ने लंदन से पढ़ाई कर लौटे ओसामा शाहाब पर दांव लगाया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वे अपने पिता का जनाधार वापस पा सकेंगे या नहीं।
सीवान में मुस्लिम वोट निर्णायक
सीवान में लगभग 18% मुस्लिम आबादी है और यहां लोकसभा चुनावों में 16 में से 8 बार मुस्लिम उम्मीदवारों को जीत मिली है — जिनमें से चार बार यूसुफ और चार बार शहाबुद्दीन ने बाजी मारी।
2020 विधानसभा चुनाव में सीवान की 8 सीटों में से केवल 2 सीटें एनडीए के खाते में गईं, जबकि 6 सीटों पर महागठबंधन ने कब्जा जमाया था।
रघुनाथपुर सीट पिछली बार आरजेडी ने जीती थी। एनडीए को सीवान, महाराजगंज और बरहरिया जैसी तीन सीटों पर बेहद कम अंतर (2–4 हजार वोटों) से हार का सामना करना पड़ा था।
भोजपुर और बक्सर में भी चुनौती बड़ी
सीवान के बाद योगी का कारवां भोजपुर पहुंचेगा, जो वामपंथ का गढ़ माना जाता है। 2020 के चुनाव में यहां 7 में से सिर्फ 2 सीटें एनडीए को मिली थीं, जबकि 5 सीटें महागठबंधन के हिस्से में गई थीं।
हालांकि, पिछले वर्ष हुए तरारी उपचुनाव में बीजेपी ने CPI(ML) से यह सीट छीन ली, जिससे एनडीए के खाते में अब भोजपुर की 3 सीटें हो गई हैं।
भोजपुर के बाद सीएम योगी का तीसरा पड़ाव बक्सर होगा — जो उन जिलों में से है जहां 2020 में एनडीए का खाता तक नहीं खुला था।
यहां की सभी 4 सीटें महागठबंधन ने जीती थीं। केवल बक्सर विधानसभा सीट पर मुकाबला करीबी था, जबकि बाकी सीटों पर विपक्ष ने 20 हजार से ज्यादा मतों से जीत दर्ज की थी।
एनडीए की ‘कमजोर ज़मीन’ को मजबूत करने की कोशिश
सीएम योगी का यह दौरा साफ संकेत देता है कि बीजेपी बिहार में उन इलाकों पर फोकस कर रही है जहां पिछले चुनाव में पार्टी पिछड़ गई थी।
सीवान, भोजपुर और बक्सर — तीनों जिले उत्तर प्रदेश सीमा से सटे हैं, और योगी यहां हिंदुत्व, विकास और सुरक्षा के एजेंडे पर मतदाताओं को साधने की कोशिश में हैं।














