नई दिल्ली – दिल्ली हाई कोर्ट ने राउज एवेन्यू कोर्ट के एक न्यायालय अधिकारी (अहलमद) पर एसीबी (भ्रष्टाचार निरोधक शाखा) द्वारा लगाए गए रिश्वतखोरी के आरोपों पर सुनवाई की। अधिकारी ने अग्रिम जमानत और मामले की जांच CBI को ट्रांसफर करने की मांग को लेकर याचिका दायर की थी। जस्टिस तेजस करिया की एकल पीठ ने इस पर सुनवाई की और 11 जून को अगली सुनवाई की तारीख तय करते हुए एसीबी से अतिरिक्त स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।
क्या है मामला?
मामले की पृष्ठभूमि के अनुसार, याचिकाकर्ता राउज एवेन्यू कोर्ट में एक विशेष न्यायाधीश के साथ कार्यरत कोर्ट ऑफिसर है। 16 मई को दर्ज एफआईआर में उन पर पैसे के लेनदेन से जुड़े भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। आरोपी के वकील मोहित माथुर ने अदालत में कहा कि यह याचिका सिर्फ अग्रिम जमानत के लिए नहीं है, बल्कि CBI जांच की मांग से जुड़ी एक रिट याचिका भी है।
‘मेरी स्वतंत्रता दांव पर है’ – याचिकाकर्ता के वकील
मोहित माथुर ने कोर्ट से अंतरिम संरक्षण की मांग करते हुए कहा, “मेरी स्वतंत्रता दांव पर है। एफआईआर पढ़ने से स्पष्ट हो जाता है कि मैं केवल एक माध्यम (mediator) के रूप में काम कर रहा था। मैं किसी लेन-देन में शामिल नहीं था।”
एसीबी की ओर से कड़ा जवाब
एसीबी की ओर से अतिरिक्त स्थायी अधिवक्ता संजीव भंडारी ने बताया कि जांच में नए सबूत और 8 मोबाइल नंबरों की जानकारी सामने आई है। उन्होंने कहा कि “स्थिति रिपोर्ट में पर्याप्त सामग्री है जो याचिकाकर्ता की संलिप्तता को दर्शाती है।” उन्होंने यह भी बताया कि आरोपी और उसकी पत्नी, जो स्वयं भी कोर्ट अधिकारी हैं, की लोकेशन पर जांच टीमें भेजी गई थीं।
कोर्ट का रुख सख्त
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अब मामले में कोई और स्थगन नहीं दिया जाएगा। अदालत ने पूछा कि आरोपी की न्यायिक अधिकारी से बातचीत कैसे हुई? जिस पर माथुर ने जवाब दिया कि इस तथ्य से बचा नहीं जा सकता कि बातचीत हुई थी।
11 जून को होगी अगली सुनवाई
कोर्ट ने मामले में संजीव भंडारी को 3 बजे तक अतिरिक्त स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है। अगली सुनवाई की तारीख 11 जून को तय की गई है, जिसमें सभी पक्षों की दलीलों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा।