RCB की जीत का जश्न… और 11 परिवारों का मातम
बेंगलुरु की चिन्नास्वामी स्टेडियम में RCB की ऐतिहासिक जीत के जश्न ने 11 परिवारों को जिंदगी भर का दर्द दे दिया। अब इस हादसे से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर दिल तोड़ देने वाली लहर लेकर आया है। वायरल हो रहे इस वीडियो में एक पिता अपने जवान बेटे की कब्र से लिपटकर बिलखते हुए कहता है – “मैं उसे छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा, मुझे यहीं रहने दो।”
बेटे के लिए खरीदी थी ज़मीन, उसी पर बना मेमोरियल
यह दर्दनाक वीडियो कर्नाटक के हासनपुर का है। मृतक युवक का नाम भूमिक लक्ष्मण था, जो इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष का छात्र था। उसके पिता बीटी लक्ष्मण ने बताया कि उन्होंने यह ज़मीन कभी अपने बेटे के भविष्य के लिए खरीदी थी – एक घर बनाने के लिए, एक बेहतर कल के लिए। लेकिन नियति ने ऐसा मोड़ा लिया कि अब उसी ज़मीन पर बेटे की कब्र बनानी पड़ी।
📽️ वीडियो में पिता की चीख – “मैं बेटे के पास ही रहूंगा”
वीडियो में जब लोग उन्हें बेटे की कब्र से अलग करने की कोशिश करते हैं, तो वे बिलखते हुए कहते हैं –
“प्लीज़, मुझे यहीं रहने दो। मैं बेटे को छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा।”
यह सिर्फ बीटी लक्ष्मण की कहानी नहीं है, बल्कि उन सभी 11 परिवारों की है, जिन्होंने बेंगलुरु भगदड़ में अपने बच्चों को खो दिया।
RCB की जीत, लेकिन मातम का मैदान बना स्टेडियम के बाहर
18 साल बाद जब RCB ने IPL ट्रॉफी जीती, तो चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर हजारों की भीड़ जुटी थी। पर यह उत्सव एक त्रासदी में बदल गया। भगदड़ में कई लोग कुचले गए, और 11 मासूम ज़िंदगियाँ खत्म हो गईं।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप शुरू, बीजेपी ने सरकार को घेरा
कर्नाटक बीजेपी ने वायरल वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने लिखा:
“हत्यारे मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम… आपकी राजनीतिक ज़िद ने 11 परिवारों को रोज़ अपने आंसुओं से दिन शुरू करने पर मजबूर कर दिया है। क्या आप इस पिता को उसका बेटा लौटा सकते हैं?”
KSCA ने राज्य सरकार पर डाली ज़िम्मेदारी
कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ (KSCA) ने बयान जारी कर कहा कि इस हादसे की ज़िम्मेदारी संघ की नहीं बल्कि राज्य सरकार की है। उन्होंने साफ किया कि RCB की जीत का सार्वजनिक जश्न आयोजित करने का निर्णय सरकार का था, न कि क्रिकेट संघ का। उन्होंने राज्य सरकार से जवाबदेही लेने और पीड़ित परिवारों को न्याय देने की मांग की।
एक जीत, 11 मातम और एक देश का मौन
बेंगलुरु की भगदड़ ने यह सवाल खड़ा किया है कि क्या जश्न की कीमत इतनी भारी हो सकती है?
क्या एक ट्रॉफी की तस्वीर, 11 परिवारों के आंसुओं से ज्यादा अहम है?
अब जब यह वीडियो देशभर में फैल चुका है, लोगों की एक ही मांग है –
जांच हो, जवाबदेही तय हो, और फिर कभी कोई भूमिक इस तरह न खोए।