
पहलगाम में हुए आतंकी हमले में मारे गए निर्दोष लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए गुरुवार को नई दिल्ली में आयोजित सर्वदलीय बैठक के दौरान दो मिनट का मौन रखा गया। यह केवल श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि एक राष्ट्र के रूप में आतंक के खिलाफ एकजुट होने की घोषणा थी।
शहीदों को नमन, राजनीति से ऊपर उठकर नेताओं की एक आवाज: ‘आतंक के खिलाफ भारत अब चुप नहीं रहेगा’
बैठक की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और लगभग सभी प्रमुख दलों के नेता शामिल हुए।
यह दुर्लभ दृश्य था, जब सत्तापक्ष और विपक्ष ने राजनीतिक मतभेद भुलाकर एक सुर में आतंक के खिलाफ कड़ा संदेश दिया।
भारत की पाकिस्तान को चेतावनी: आतंकवाद को समर्थन दोगे तो रिश्ते टूटेंगे
सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में लिए गए फैसले ऐतिहासिक हैं:
- 1960 की सिंधु जल संधि स्थगित कर दी गई है।
- सार्क वीजा छूट योजना के तहत पाकिस्तान को दिए गए वीजा रद्द किए गए।
- एकीकृत अटारी चेकपोस्ट को बंद कर दिया गया है।
- भारतीय सीमा में मौजूद पाकिस्तानी अधिकारियों को निष्कासित किया गया है।
- सीमा पार आतंकवाद पर पाकिस्तान को खुली चेतावनी दी गई है: अब बर्दाश्त नहीं होगा।
पहलगाम से पुलवामा तक—भारत ने दोहराया पुराना संदेश: अब शब्द नहीं, सिर्फ कार्रवाई
साल 2019 में पुलवामा आतंकी हमले में 40 सीआरपीएफ जवानों की शहादत के बाद भारत ने बालाकोट एयरस्ट्राइक के जरिए पाकिस्तान को करारा जवाब दिया था। अब पहलगाम हमले के बाद भारत फिर उसी एक्शन मोड में दिख रहा है।
सरकार ने साफ कर दिया है कि जब तक पाकिस्तान आतंक को प्रश्रय देता रहेगा, तब तक किसी भी तरह का संवाद, सहयोग या द्विपक्षीय रिश्ता संभव नहीं होगा।
भारत की आवाज, दुनिया के लिए संदेश: आतंकवाद को पनाह देने वालों को अब कीमत चुकानी होगी
भारत का यह कदम केवल पाकिस्तान के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक कूटनीतिक संदेश है —
“शांति की बात तभी होगी, जब आतंक की भाषा बंद होगी।”