
मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा का बजट सत्र 3 मार्च से शुरू होने जा रहा है, जो करीब 25 दिनों तक चलेगा। इस सत्र के हंगामेदार होने की पूरी संभावना है, क्योंकि विपक्ष फडणवीस सरकार को कई मुद्दों पर घेरने की रणनीति बना रहा है।
लाडकी बहिन योजना पर घमासान: क्या चुनाव के बाद योजना होगी बंद?
राज्य में लाडकी बहिन योजना से महायुति को चुनावों में बड़ी सफलता मिली, लेकिन अब इस योजना को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार अब इसे बंद करने की साजिश कर रही है और 10 लाख महिलाओं को पहले ही योजना से बाहर कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि
“लाडकी बहिन योजना बंद नहीं होगी। बल्कि, इस योजना में केवल पात्र महिलाओं को ही शामिल किया जाएगा। जो नियमों के बाहर हैं, उन्हें बाहर करना जरूरी है।”
महिलाओं को मिलने वाली राशि बढ़ेगी?
महायुति सरकार ने चुनावी वादे में महिलाओं को 2,100 रुपये देने की घोषणा की थी, लेकिन वर्तमान में 1,500 रुपये प्रति माह ही दिए जा रहे हैं। अब इसे 2,100 रुपये करने का फैसला इसी बजट सत्र में लिया जा सकता है।
वित्त मंत्री अजित पवार ने पहले ही इस पर संकेत दिए हैं।
शिवाजी महाराज पर बयानबाजी पर भी गरमाएगी राजनीति
विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार छत्रपति शिवाजी महाराज के खिलाफ गलत बयान देने वालों का समर्थन कर रही है। इस पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जवाब देते हुए कहा,
“शिवाजी महाराज हमारे आराध्य हैं। उनके खिलाफ बोलने वालों पर कार्रवाई होगी। लेकिन जो हमें शिवाजी महाराज पर ज्ञान दे रहे हैं, उन्होंने खुद इशरत जहां के नाम पर एम्बुलेंस चलाई थी।”
विधानसभा सत्र में हंगामे के पूरे आसार
महाराष्ट्र विधानसभा का बजट सत्र 3 मार्च से शुरू होगा, और 10 मार्च को वित्त मंत्री अजित पवार बजट पेश करेंगे। विपक्ष लाडकी बहिन योजना, किसानों की योजनाओं, कानून-व्यवस्था, और मंत्रियों धनंजय मुंडे व माणिकराव कोकाटे के इस्तीफे की मांग को लेकर हमलावर रहेगा।
विपक्ष ने ‘चाय पार्टी’ का किया बहिष्कार
बजट सत्र से पहले विपक्ष ने मुख्यमंत्री की चाय पार्टी का बहिष्कार कर सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर कर दी। वहीं, शिवसेना (UBT) और एकनाथ शिंदे गुट के नेताओं के बीच भी तीखी बहस की संभावना है।
लाडकी बहिन योजना से सरकारी तिजोरी पर बोझ?
इस योजना से सरकार पर सालाना 35 से 40 हजार करोड़ रुपये का वित्तीय भार पड़ेगा, जिससे अन्य योजनाओं पर असर पड़ सकता है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार चुनावी वादे पूरे करने के बजाय महिलाओं की संख्या घटाकर धोखा दे रही है। हालांकि, सरकार का कहना है कि सब कुछ नियमों के तहत हो रहा है।
इस बार का बजट सत्र सरकार और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक का गवाह बनने वाला है।