
Vote jihad case Hawala connection exposed ED”महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव के दौरान धार्मिक दंगे भड़काने और एक विशेष वर्ग के वोटर्स को पैसे देकर वोट दिलवाने की एक बड़ी साजिश का खुलासा हुआ है। इस मामले की जांच ईडी, आयकर विभाग और कई अन्य एजेंसियां कर रही हैं, जिन्होंने इस रैकेट का पर्दाफाश किया है।
टीवी9 के पास इस जांच एजेंसियों की एक एक्सक्लूसिव कॉपी है, जिसमें बताया गया है कि कैसे काले पैसों को बेनामी हिंदू नामों वाले फर्जी बैंक खातों के जरिए सफेद किया जा रहा था और इसके बाद इन पैसों का इस्तेमाल चुनावी साजिशों में किया जा रहा था।
ईडी और आयकर विभाग द्वारा चलाए जा रहे इस ऑपरेशन “रियल कुबेर” की शुरुआत नासिक के मालेगांव के बैंकों से हुई थी, लेकिन अब यह जांच मुंबई, गुजरात, दुबई, बहरीन और नेपाल तक फैल चुकी है।
बेनामी ट्रांजेक्शन और फर्जी बैंक खातों का खुलासा
ईडी और आयकर विभाग ने मालेगांव में 144 करोड़ रुपये से अधिक की रकम के ट्रांजेक्शन का पता लगाया है, जो कि कई फर्जी हिंदू नामों और एड्रेस प्रूफ के जरिए बेनामी खातों में जमा की गई थी। इन खातों से जुड़े मुख्य आरोपी सिराज अहमद मेमन और मोहम्मद हारून हैं, जो मालेगांव के व्यापारी हैं।
इस बड़े घोटाले में 104 कंपनियों के नाम सामने आए हैं, जिनमें से अधिकांश कंपनियों के नाम हिंदू नामों पर थे। सिराज मेमन की कंपनी “रेड रोज ट्रेडिंग” में लगभग 16 करोड़ 50 लाख रुपये की रकम ट्रांसफर की गई।
कुल मिलाकर प्रमुख खुलासे:
- फर्जी बैंक खाते: सिराज हारून ने 2024 के सितंबर और अक्टूबर महीने में 14 फर्जी बैंक खाते खोले, जिनमें 112.7 करोड़ रुपये का क्रेडिट और 111.7 करोड़ रुपये की निकासी हुई।
- खाता धारकों को जानकारी नहीं: जिन नामों पर ये बैंक खाते खोले गए, उन लोगों ने जांच में बताया कि उन्हें इन खातों के बारे में जानकारी नहीं थी और उनके हस्ताक्षर भी फर्जी थे।
- हवाला नेटवर्क का पर्दाफाश: जांच में यह भी सामने आया कि इन खातों से पैसा हवाला नेटवर्क के माध्यम से महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा और पश्चिम बंगाल तक भेजा गया।
- बेनामी संपत्तियों की जांच: आयकर विभाग ने बेनामी संपत्ति लेन-देन अधिनियम (PBPTA) के तहत प्रतीक जाधव को नोटिस जारी किया है, जिनके बैंक खाते और फिक्स्ड डिपॉजिट अस्थायी रूप से कुर्क किए गए हैं।
- आरोपियों का बयान बदलना: आरोपियों ने एक-दूसरे पर आरोप लगाया है कि फर्जी खाता खोलने के लिए उनके नाम और हस्ताक्षर का इस्तेमाल किया गया था, लेकिन जांच में यह साबित हुआ कि सभी खाते सिराज हारून के द्वारा नियंत्रित थे।
आगे की जांच और कार्रवाई
ईडी और आयकर विभाग अब बेनामी संपत्ति लेन-देन के मामले में कार्रवाई कर रहे हैं और यह पूरा मामला मालेगांव पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है। अधिकारियों ने आरोपियों से पूछताछ की है और उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। इस वित्तीय घोटाले के माध्यम से चुनावी प्रक्रिया में दखलंदाजी और वोटिंग में हस्तक्षेप करने की साजिश को बेनकाब किया गया है।
यह मामला देशभर के लिए एक चेतावनी है कि कैसे बेनामी और फर्जी वित्तीय गतिविधियों के माध्यम से चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित किया जा सकता है।