ज्योतिष शास्त्र में ‘नीचभंग राजयोग’ को अत्यधिक शुभ और प्रभावी माना गया है। इस योग के प्रभाव से जातक को जीवन में धन, पद, प्रतिष्ठा, स्वास्थ्य, संतान सुख, और सामाजिक सम्मान की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं कि आपकी कुंडली में यह राजयोग है या नहीं।
- नीचभंग राजयोग की उत्पत्ति
ज्योतिषाचार्य पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के अनुसार, अगर किसी जातक की कुंडली में नीच ग्रह का स्वामी या उस ग्रह की उच्च राशि का स्वामी चंद्र से केन्द्र में स्थित हो और उस पर किसी पाप ग्रह का प्रभाव न हो, तो ‘नीचभंग राजयोग’ बनता है। - ग्रहों का शुभफल
इस योग में नीच ग्रह की स्थिति को समाप्त कर उसे शुभफलप्रद बना दिया जाता है। इसका परिणाम जीवन में उन्नति और समृद्धि के रूप में देखने को मिलता है। - लग्न से केंद्र में ग्रह स्थिति
अगर नीच ग्रह का स्वामी या उस ग्रह की उच्च राशि का स्वामी लग्न से केंद्र में स्थित हो और उस पर कोई अशुभ ग्रह का प्रभाव न हो, तो ‘नीचभंग राजयोग’ बनता है। - ग्रह दृष्टि का प्रभाव
नीच राशि में स्थित ग्रह पर उसके स्वामी की दृष्टि हो और कोई पाप ग्रह उस पर असर न डाले, तो भी ‘नीचभंग राजयोग’ का निर्माण होता है। - शुभफल का लाभ
नीचभंग राजयोग की स्थिति बनने पर जातक को जीवन में चमत्कारी लाभ प्राप्त होते हैं। यह योग जातक को धन, यश, पद, और शारीरिक-मानसिक सुख प्रदान करता है।
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✍🏻 ज्योतिषाचार्य- पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री
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VIKAS TRIPATHI
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