लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर जारी चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने आतंकवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरते हुए कई गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने सीधे पूछा—”देश में हो रहे आतंकी हमलों की जिम्मेदारी आखिर कौन लेगा?” उनके निशाने पर विशेष रूप से गृहमंत्री अमित शाह और खुफिया एजेंसियों की भूमिका रही।
TRF: तीन साल में 25 हमले, सरकार को भनक नहीं!
प्रियंका गांधी ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले को लेकर सरकार से जवाब मांगा। उन्होंने बताया कि इस हमले की जिम्मेदारी The Resistance Front (TRF) नामक आतंकी संगठन ने ली, जिसे 2019 में बनाया गया था और जिसने 2020 से सक्रिय रूप से कश्मीर में आतंक फैलाना शुरू कर दिया।“2020 से 22 अप्रैल 2025 तक TRF ने जम्मू-कश्मीर में 25 बड़े आतंकी हमले, 41 जवानों की हत्या, 27 आम नागरिकों की हत्या और 54 लोगों को घायल किया है। क्या इस पर किसी ने जिम्मेदारी ली?” – प्रियंका गांधी
आखिर TRF को आतंकी संगठन घोषित करने में 3 साल क्यों लगे?
प्रियंका ने सरकार से यह भी पूछा कि TRF को आतंकी संगठन घोषित करने में इतनी देर क्यों हुई?“सरकार को TRF की गतिविधियों की पूरी जानकारी थी, फिर भी उसे 2023 तक आतंकवादी संगठन घोषित नहीं किया गया। 3 साल तक यह संगठन खुलेआम देश में खून-खराबा करता रहा। क्यों?”
उन्होंने यह भी कहा कि अगर खुफिया एजेंसियों को अंदेशा नहीं था कि पाकिस्तान में कोई साजिश रची जा रही है, तो ये स्पष्ट रूप से एजेंसियों की विफलता है।
“इतिहास की बात आप कीजिए, हम वर्तमान की बात कर रहे हैं”
सत्तापक्ष पर निशाना साधते हुए प्रियंका गांधी ने कहा:“कल रक्षा मंत्री जी एक घंटे बोले। देशभक्ति, राष्ट्ररक्षा और इतिहास का पाठ पढ़ाया, लेकिन ये नहीं बताया कि ये हमला हुआ कैसे? आप इतिहास की बात करिए, लेकिन हम आज की जिम्मेदारी की बात कर रहे हैं।”
उन्होंने गृह मंत्री से यह भी पूछा कि इतनी बड़ी खुफिया चूक के बावजूद क्या किसी ने इस्तीफा दिया? क्या IB चीफ ने कोई जवाबदेही दिखाई? उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि न इस्तीफा दिया गया, न ही कोई जिम्मेदारी ली गई।
लोकसभा में विपक्ष की आवाज बनीं प्रियंका गांधी
इस पूरे मुद्दे पर प्रियंका गांधी की ओर से उठाए गए सवाल न सिर्फ TRF और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हैं, बल्कि प्रशासनिक पारदर्शिता और राजनीतिक जवाबदेही पर भी केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा करते हैं।
प्रियंका गांधी का लोकसभा में दिया गया यह भाषण सिर्फ एक राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि केंद्र सरकार की आतंकवाद-नीति और खुफिया तंत्र की तैयारी पर एक कड़ा परीक्षण है। उन्होंने आतंकवाद जैसे गंभीर मुद्दे पर फैक्ट के साथ, तीखे सवाल उठाकर संसद में सत्तापक्ष को जवाब देने को मजबूर कर दिया है।