नई दिल्ली।
देश की सुरक्षा व्यवस्था की गंभीरता पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश का बयान सुनकर आम जनता और भाजपा दोनों ही सकते में हैं — लेकिन कारण अलग-अलग हैं।
रमेश जी ने ऐसा विचित्र तुलनात्मक विश्लेषण किया है, जो शायद अर्थशास्त्र की किताबों में भी न मिले। उन्होंने कहा कि “पहलगाम के आतंकी भी घूम रहे हैं और हमारे सांसद भी घूम रहे हैं।” अब इसमें किसका ज़्यादा नुकसान है, ये जनता तय करे।
“अघोषित इमरजेंसी में घोषित बयानों की बौछार!”
रमेश ने सरकार पर आरोप लगाया कि 25-26 जून को बुलाया जा रहा विशेष संसद सत्र दरअसल 1975 की इमरजेंसी की 50वीं वर्षगांठ पर नहीं, 2014 से जारी ‘अघोषित इमरजेंसी’ से ध्यान भटकाने का प्रयास है।
उन्होंने कहा, “पहले तय कर लें कि किस इमरजेंसी की बात हो रही है – इंदिरा वाली या मोदी वाली?”
“RSS का भूत फिर से संसद में बुलाया जाएगा!”
जयराम रमेश ने घोषणा की कि वे इस विशेष सत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की भूमिका को भी उजागर करेंगे। अब ये उजागर कितना होगा और किस रंग में होगा, ये आने वाले सत्र में ही पता चलेगा।
“भाजपा से रॉकेट कांग्रेस पर, आतंकी अभी भी फ्री रन पर!”
रमेश ने एक तीखा व्यंग्य करते हुए कहा – “हर दिन कांग्रेस पर मिसाइलें छोड़ी जा रही हैं, लेकिन आतंकवादियों पर नहीं। होना तो ये चाहिए कि मिसाइलें आतंकी ठिकानों पर चलतीं, लेकिन चल रही हैं हमारे ऊपर।”
“घूमते आतंकी और भ्रमणशील सांसद: नई डिप्लोमेसी!”
उन्होंने कहा – “वो आतंकवादी जो पहलगाम समेत चार हमलों में शामिल थे, वे भी घूम रहे हैं। और हमारे सांसद भी घूम रहे हैं। फर्क बस इतना है कि कुछ लोग टूरिस्ट मारते हैं, और कुछ लोग टूरिस्ट देशों में घूमते हैं।”
“बीजेपी का जवाब: कांग्रेस का जुबानी सर्जिकल स्ट्राइक पाकिस्तान के काम की चीज!”
भाजपा प्रवक्ता शहज़ाद पूनावाला ने इस बयान पर तीखा पलटवार किया और कहा – “ये वही पार्टी है जिसने सेना प्रमुख को ‘गुंडा’ कहा था। अब अपने सांसदों की तुलना आतंकियों से कर रही है। संसद की विशेषाधिकार समिति को इस पर संज्ञान लेना चाहिए।”
उन्होंने कहा – “इन्हीं लोगों ने बालाकोट स्ट्राइक पर सबूत मांगे थे। आज यही लोग पाकिस्तान को साफ-सुथरा दिखाने में जुटे हैं। जयराम रमेश अब डीजी-आईएसपीआर की भाषा बोलने लगे हैं।”
“राजनीति का नया युग: आतंकवाद बनाम टूरिज़्म”
जब देश आतंकवाद से जूझ रहा हो, और नेता उसे टूर प्लानिंग से जोड़ दें, तो समझिए कि राजनीति अब ट्रैवल एंड टेररिज़्म विभाग के अंतर्गत आ चुकी है।
जयराम रमेश ने एक बार फिर साबित कर दिया कि कुछ बयान लॉजिकल नहीं, सिर्फ पॉलिटिकल होते हैं — और कुछ तो सिर्फ “ड्रामैटिकल” ही होते हैं।