
Veer Bal Diwas: नोएडा पंजाबी एकता समिति द्वारा ‘‘वीर बाल दिवस’’ का आयोजन बड़े श्रद्धा और उत्साह के साथ किया गया। इस अवसर पर गुरुद्वारा साहिब, सेक्टर-12, नोएडा में विशेष कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसमें ग्रंथियों ने पावन गुरुबाणी का पाठ किया। कार्यक्रम में सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने हिस्सा लिया। उन्होंने गुरुद्वारा साहिब में शीश झुकाकर गुरु गोविंद सिंह जी के साहिबजादों के बलिदान को नमन किया और उनके साहस और बलिदान को याद किया।
साहिबजादों के बलिदान की गाथा
गुरु गोविंद सिंह जी के चार साहिबजादों ने धर्म और राष्ट्र की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था। उनके बलिदान की गाथा आज भी हमें प्रेरणा देती है। साहिबजादों ने मुगलों के अत्याचार और लालच के बावजूद धर्म के मार्ग से समझौता नहीं किया और अंतिम सांस तक अपने आदर्शों पर अडिग रहे। इस आयोजन में साहिबजादों की शौर्य गाथा का स्मरण किया गया और उनकी याद में गुरुबाणी का सुमिरन किया गया।

गुरुबाणी और लंगर प्रसाद
कार्यक्रम के दौरान ग्रंथियों ने गुरुबाणी का पाठ किया, जिसे सभी उपस्थित लोगों ने श्रद्धा के साथ सुना। गुरुबाणी की शांति और दिव्यता ने माहौल को और भी पावन बना दिया। इसके बाद उपस्थित श्रद्धालुओं ने लंगर प्रसाद ग्रहण किया। यह आयोजन गुरु परंपरा और सिख धर्म के मूल्यों को जीवंत रखने का एक प्रेरणादायक उदाहरण था।
भाजपा पदाधिकारियों और समाजसेवियों की भागीदारी
इस कार्यक्रम में नोएडा पंजाबी एकता समिति के अध्यक्ष वीरेंद्र मेहता और विनीत मेहता समेत कई प्रमुख लोग उपस्थित रहे। भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारियों में संजय बाली, भूपेंद्र सिंह, नरेंद्र चौपड़ा, गौरव चारचा, नवीन सोनी, अनिल खन्ना, अतुल सहगल, जसविंद्र, राकेश खन्ना, अश्विनी सदाना, डिंपल आनंद, पुनीत शुक्ला, सत्य नारायण महावर, गणेश जाटव, अशोक मिश्रा, प्रदीप शर्मा, और शीतल शुक्ला आदि ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
बलिदान और एकता का संदेश
‘‘वीर बाल दिवस’’ का यह आयोजन साहिबजादों के बलिदान की स्मृति को ताजा करने और समाज में एकता और धर्म के प्रति समर्पण का संदेश देने का एक महत्वपूर्ण प्रयास था। इस अवसर ने सभी को प्रेरित किया कि राष्ट्र और धर्म के प्रति हमारी जिम्मेदारी क्या है और हमें साहिबजादों के आदर्शों से क्या सीखने की आवश्यकता है।
यह कार्यक्रम न केवल सिख समुदाय बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणास्रोत साबित हुआ और यह दिखाया कि धर्म और मानवता की सेवा में एकजुट होकर काम करना ही सच्ची श्रद्धांजलि है।