
अमेठी, उत्तर प्रदेश – राज्य महिला आयोग की सदस्य डॉ. प्रियंका मौर्या एक बार फिर विवादों में घिर गई हैं। अमेठी दौरे के दौरान महिलाओं की समस्याएं सुनने पहुंचीं मौर्या ने महिलाओं के एक से अधिक पुरुषों से संबंधों को घरेलू विवादों की जड़ बताया। साथ ही उन्होंने सोशल मीडिया को इस प्रकार के संबंधों को बढ़ावा देने वाला माध्यम बताया, जिससे समाज में नई समस्याएं जन्म ले रही हैं।
क्या कहा प्रियंका मौर्या ने?
पुराने कलेक्ट्रेट स्थित सभागार में महिला उत्पीड़न की शिकायतों की सुनवाई के बाद मीडिया से बातचीत में मौर्या ने कहा:
“महिलाएं अब एक से अधिक पुरुषों से जुड़ रही हैं, और यही उनके जीवन में बढ़ते विवादों की मुख्य वजह बन रहा है। सोशल मीडिया एक-दूसरे से जुड़ने का आसान जरिया बन चुका है, जिससे महिलाएं अक्सर लोभ या भावनाओं में बहकर गलत रिश्तों में उलझ जाती हैं। जब सच्चाई सामने आती है, तो मामले बिगड़ते हैं और महिलाएं मानसिक व सामाजिक ठोकरें खाती हैं।”
समाज में हलचल, बयान पर उठे सवाल
प्रियंका मौर्या का यह बयान सामने आते ही सामाजिक कार्यकर्ताओं, महिला संगठनों और राजनीतिक विरोधियों में रोष फैल गया है। कई लोगों ने सवाल उठाए हैं कि एक महिला आयोग की सदस्य होकर यदि कोई महिला महिलाओं के निजी जीवन पर इस तरह का मूल्यांकनात्मक वक्तव्य देती हैं, तो वे वास्तव में महिलाओं को न्याय दिलाने में कितनी निष्पक्ष और संवेदनशील होंगी।
महिला हितों की सुरक्षा या नैतिकता का उपदेश?
विशेषज्ञों का मानना है कि महिला आयोग का दायित्व महिलाओं की समस्याओं को समझना, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना और उन्हें सशक्त बनाना है – ना कि उनके व्यक्तिगत संबंधों पर नैतिक टिप्पणियां करना। मौर्या का यह बयान महिलाओं को ‘दोषी’ ठहराने की मानसिकता को दर्शाता है, जिससे समाज में महिलाओं के खिलाफ पहले से मौजूद पूर्वाग्रह और मजबूत हो सकते हैं।
दो दिवसीय अमेठी दौरा, सुनवाई और समाधान के निर्देश
प्रियंका मौर्या अमेठी में दो दिनों तक रहेंगी, इस दौरान वे महिला उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, दहेज प्रताड़ना और अन्य मामलों की सुनवाई करेंगी। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि महिला संबंधित मामलों का समयबद्ध समाधान सुनिश्चित किया जाए।
महिलाओं की न्याय प्रक्रिया पर सवाल
हालांकि मौर्या की मौजूदगी से कई पीड़ित महिलाओं को उम्मीद थी कि उन्हें न्याय मिलेगा, लेकिन उनके बयान के बाद यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या ऐसी मानसिकता रखने वाली अधिकारी महिलाओं की पीड़ा को निष्पक्ष तरीके से समझ सकेंगी?
राज्य महिला आयोग की सदस्य होने के नाते प्रियंका मौर्या का यह बयान न केवल विवादास्पद है, बल्कि यह एक संवेदनशील पद की गरिमा और महिला अधिकारों की रक्षा के सिद्धांत पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि इस बयान पर महिला आयोग, सरकार और समाज का क्या रुख रहता है।