उत्तर प्रदेश में बिजली तो वैसे ही टिमटिमाती रहती है, अब बिजली विभाग के कर्मचारी भी बार-बार ‘हड़ताल’ का स्विच ऑन कर रहे हैं। नतीजा ये हुआ कि ऊर्जा मंत्री एके शर्मा का पावर कंट्रोल रूम जवाब दे गया और उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक भभकता हुआ बयान पोस्ट कर दिया—जिसमें हड़तालियों को सुपारी गैंग, अराजक तत्व, और विद्युत माफिया तक घोषित कर डाला।
मंत्री जी का कहना है कि कुछ लोग विद्युत कर्मचारी के वेश में हुल्लड़बाज हैं, जो विभाग को बदनाम करने की सुपारी लेकर मैदान में उतरे हैं। अब भला बताइए, जो आदमी खुद एक जेई (Junior Engineer) का ट्रांसफर नहीं कर सकता, वो पूरी व्यवस्था का निजीकरण कर देगा—ये तो वही बात हो गई कि चाय बनाने वाला प्रधानमंत्री बन गया… ओह, वो तो पहले ही हो चुका है!
“चार बार हड़ताल और हर बार मैं ही टारगेट?”
मंत्री जी ने अपनी तीन साल की तपस्या का बही-खाता खोलते हुए बताया कि अभी तो उनके मंत्री पद की कालर ठीक से सीधी भी नहीं हुई थी कि तीन दिन बाद ही पहला हड़ताल फोड़ दिया गया। अब तक चार बार विभाग के कर्मवीरों ने हड़ताल का रिमोट दबाया है। लेकिन मंत्री जी बड़े संयमी हैं—गुस्से में आने के बाद भी प्रदर्शनकारियों को पानी पिलाया, मिठाई खिलाई और फिर ढाई घंटे तक संवाद के लिए टकटकी लगाकर बैठे रहे। ये संयम तो शायद महाभारत के युधिष्ठिर में भी नहीं था!
“जब निजीकरण हुआ, तब आप लोग विदेश में थे?”
ऊर्जा मंत्री जी का अगला वार और भी गुदगुदाने वाला था। उन्होंने पूछा—”जब 2010 में आगरा की बिजली टोरेंट को दे दी गई, तब यूनियन वाले कहां थे? विदेश दौरे पर?” मंत्री जी ने तंज कसते हुए कहा कि तब तो सब चुपचाप बैठे थे, शायद इसलिए कि यूनियन नेता प्लेन से टूर पर निकले हुए थे और ‘विदेशी करंट’ का आनंद ले रहे थे।“ट्रांसफर नहीं कर सकता तो निजीकरण कैसे?”
ऊर्जा मंत्री श्री ए के शर्मा की सुपारी लेने वालों में विद्युत कर्मचारी के वेश में कुछ अराजक तत्व भी हैं …
कुछ विद्युत कर्मचारी नेता काफ़ी दिनों से परेशान घूम रहे हैं क्योंकि उनके सामने ऊर्जा मंत्री जी झुकते नहीं हैं।
ये वही लोग हैं जिनकी वजह से बिजली विभाग बदनाम हो रहा…
— AK Sharma Office (@AKSharmaOffice) July 28, 2025
ऊर्जा मंत्री ने साफ किया कि वो खुद एक जूनियर इंजीनियर का ट्रांसफर नहीं कर सकते—तो फिर पूरा विभाग प्राइवेट कैसे कर देंगे? उन्होंने कहा कि निजीकरण का निर्णय कोई डबल बैटरी वाली टॉर्च से नहीं होता। ये निर्णय एक टास्क फोर्स ले रही है, जिसकी अध्यक्षता खुद चीफ सेक्रेटरी कर रहे हैं। मतलब मंत्री जी तो बस पावरहाउस के वॉचमैन हैं—फैसले की मेंन लाइन कहीं और से जुड़ी है।
“ईश्वर और जनता मेरे साथ हैं”
मंत्री जी ने अपने पोस्ट के अंत में भावुक होते हुए लिखा कि “ईश्वर और जनता” उनके साथ हैं। और वे जनता की सेवा के लिए काम कर रहे हैं, न कि बिजली विभाग को बेचने के लिए। बाकी जो कहें, वो तो करंट की अफवाहें हैं।
अब देखना यह है कि अगली हड़ताल कब होती है और इस बार मंत्री जी रसगुल्ले खिलाते हैं या गुलाब जामुन? लेकिन जब तक बिजली की राजनीति में इतना हाई वोल्टेज ड्रामा रहेगा, तब तक यूपी की जनता को हर महीने ट्रिपिंग की किस्तों से गुजरना ही पड़ेगा।