/उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा इन दिनों अपने बयानों के कारण खबरों की सुर्खियों में हैं, लेकिन चर्चा उनकी नीतियों से ज़्यादा विवादित वक्तव्यों को लेकर हो रही है। उनके हालिया बयान यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि वह “ऊर्जा मंत्री” हैं या “उलझन मंत्री”, क्योंकि उनकी टिप्पणियां अब उनकी अपनी ही पार्टी बीजेपी के लिए असहज स्थितियां पैदा कर रही हैं।
10 दिन पहले जयकारों वाला वीडियो बना चर्चा का केंद्र
महज 10 दिन पहले का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें कुछ लोग मंत्री एके शर्मा से बिजली कटौती की शिकायत कर रहे थे। लेकिन मंत्री महोदय कोई ठोस जवाब देने के बजाय “जयकारा लगवाने” में व्यस्त दिखे। इस ‘अनुत्तरदायित्वपूर्ण व्यवहार’ को लेकर विपक्ष ने तीखी आलोचना की थी और अब, वह एक बार फिर अपने नए बयान को लेकर घिर गए हैं।
बिहार की फ्री बिजली योजना का उड़ाया मजाक, NDA पर ही साधा निशाना
मथुरा में अपने विभाग की योजनाओं का उद्घाटन करते हुए एके शर्मा ने बिहार सरकार द्वारा घोषित 125 यूनिट फ्री बिजली योजना पर तंज कसते हुए कहा:
“जब बिहार में बिजली आती ही नहीं तो बिल कैसे आएगा? सब फ्री ही है।”
यह टिप्पणी जितनी तीखी थी, उससे कहीं ज़्यादा चौंकाने वाली बात यह थी कि उन्होंने भूलवश यह नजरअंदाज कर दिया कि बिहार में एनडीए की सरकार है, जिसमें बीजेपी खुद सहयोगी दल है। ऐसे में एके शर्मा का यह बयान सियासी आत्मघात के तौर पर देखा जा रहा है, जिससे बिहार में बीजेपी की स्थिति असहज हो सकती है।
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले फ्री बिजली योजना बनी चुनावी हथियार
बिहार में इसी वर्ष विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। ऐसे में नीतीश कुमार सरकार ने 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने की घोषणा कर मतदाताओं को साधने की कोशिश की है। इस योजना को लेकर पहले से ही विपक्ष सवाल उठा रहा था, लेकिन अब खुद यूपी के बीजेपी मंत्री की टिप्पणी ने बीजेपी की संगठनात्मक रणनीति पर ही सवाल खड़ा कर दिया है।
विपक्ष ने किया तीखा हमला: “खुल गई जुमलों की पोल”
मंत्री शर्मा के बयान पर विपक्ष ने ताबड़तोड़ हमला किया है:
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कांग्रेस ने कहा,“जब बीजेपी के ही मंत्री NDA की नीतियों की खिल्ली उड़ाएं, तो समझिए अंदर से क्या हाल है। यूपी के ऊर्जा मंत्री ने अपनी ही पार्टी के ‘जुमले’ की हवा निकाल दी।”
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आम आदमी पार्टी (AAP) ने तंज कसा,
“यूपी के ऊर्जा मंत्री ने बिहार की फ्री बिजली योजना को ‘पावर कट फॉर्मूला’ बता दिया। बीजेपी खुद ही अपने वादों की पोल खोल रही है।”
भाजपा के लिए डैमेज कंट्रोल की जरूरत
एके शर्मा का बयान बीजेपी के लिए दोहरी मुश्किल बन गया है—एक ओर उन्होंने विपक्ष को हमला करने का मौका दे दिया, दूसरी ओर सहयोगी दल जेडीयू के साथ रिश्तों में खटास आ सकती है। आने वाले समय में बिहार चुनाव के दौरान यह बयान प्रचार अभियानों में बार-बार उछाला जा सकता है, जिससे बीजेपी को राजनीतिक नुकसान हो सकता है।
मंत्री जी के बयानों में ऊर्जा की जगह असावधानी ज्यादा
एके शर्मा के लगातार बेतुके और अनभिज्ञतापूर्ण बयानों से यह सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या वे अपनी भूमिका को गंभीरता से समझ रहे हैं। जब चुनावी मौसम पूरे शबाब पर हो, तब हर शब्द रणनीति का हिस्सा होता है। ऐसे में भाजपा को अब तय करना होगा कि वह अपने मंत्रियों की बयानबाजी को ‘फ्री छोड़कर’ विपक्ष को मुद्दे पर मुद्दा सौंपती रहेगी, या वक्त रहते डैमेज कंट्रोल करेगी।