UKSSSC पेपर लीक मामले में गुस्साए अभ्यर्थियों को शांत करने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने व्यक्तिगत और सहानुभूतिपूर्ण अंदाज अपनाया। सोमवार दोपहर को उन्होंने सभी को आश्चर्यचकित करते हुए परेड ग्राउंड में पहुँचकर धरना दे रहे छात्रों से सीधा संवाद किया—बदले में कार्यालय बुलाने के बजाय उन्होंने धरना स्थल पर ही बातचीत करना बेहतर समझा।
सीएम धामी की मुख्य शपथें
भर्ती प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी और संदेह से परे बनाया जाएगा।
राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि किसी भी युवा का सरकारी नौकरी का सपना टूटने न पाए।
मुख्यमंत्री ने त्योहारी सीज़न और बढ़ती गर्मी में छात्रों को हो रही कठिनाइयों को भी स्वीकार किया।
धामी ने कहा कि उत्तराखंड में सरकारी नौकरियों का महत्व बहुत बड़ा है और “यहाँ के युवा सिर्फ पढ़ाई के लिए नहीं, नौकरी के लिए पढ़ते हैं।”
सख्त नकल-विरोधी कानून और नौकरी रिकॉर्ड
मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार के कामों को रेखांकित करते हुए कहा:
प्रदेश में कड़ा नकल-विरोधी कानून लागू किया गया है।
पिछले चार वर्षों में रिकॉर्ड 25,000 नौकरियाँ प्रदान की गईं।
उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ एक शिकायत के आधार पर भी वे CBI जांच कराने की सिफारिश करने को तैयार हैं।
युवाओं के लिए दोस्ताना कदम
सीएम धामी ने प्रदर्शन के दौरान छात्रों पर दर्ज मुकदमों को वापस लेने की घोषणा की और उन्हें एक अभिभावक एवं मित्र की तरह सुरक्षित भविष्य की गारंटी दी।
राजनीतिक संकेत और संदेश
धरना स्थल पर जाकर छात्रों से सीधे मिलकर धामी ने न केवल संवेदनशील नेतृत्व का संदेश दिया, बल्कि भरोसा, जवाबदेही और युवाओं के साथ एकजुटता का भी संकेत भेजा। यह कदम पेपर लीक विवाद के बाद निवारक (damage-control) के रूप में देखा जा रहा है और आने वाले राजनीतिक मोर्चों पर युवाओं का भरोसा पुनः स्थापित करने की रणनीति भी माना जा रहा है।














