
शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे एक बार फिर बीजेपी और आरएसएस पर हमला बोलते नजर आए। उत्तर-पूर्व मुंबई में आयोजित संकल्प शिविर में उन्होंने बीजेपी के हिंदूवादी और देशभक्ति के नैरेटिव को ‘फेक’ करार दिया। लेकिन सवाल यह उठता है कि जो उद्धव ठाकरे स्वयं हिंदुत्व से दूर जाकर कांग्रेस और वामपंथियों के साथ खड़े हैं, वे अब दूसरों पर हिंदू विरोधी होने का आरोप कैसे लगा सकते हैं?
क्या उद्धव ठाकरे को पहले अपने गिरेबान में झांकना नहीं चाहिए?
उद्धव ठाकरे आज बीजेपी और आरएसएस को नकली हिंदूवादी बता रहे हैं, लेकिन क्या वे भूल गए कि खुद उन्होंने शिवसेना की हिंदुत्ववादी विचारधारा को तिलांजलि देकर कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन किया था?
1. बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना का क्या हुआ?
• बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना कट्टर हिंदुत्व की पैरोकार थी। लेकिन उद्धव ठाकरे ने सत्ता के लालच में उसी शिवसेना को कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सेक्युलर राजनीति में धकेल दिया।
• बालासाहेब ने कभी कांग्रेस को “हिंदू विरोधी” बताया था, लेकिन उद्धव उसी कांग्रेस के साथ सरकार बना चुके हैं।
2. हिंदू विरोधी घटनाओं पर चुप्पी क्यों?
• जब महाराष्ट्र में पालघर में हिंदू साधुओं की निर्मम हत्या हुई, तब उद्धव ठाकरे की सरकार थी। उन्होंने इस मुद्दे पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं की, उल्टा इसे “सामान्य घटना” बताने की कोशिश की।
• क्या यह हिंदुत्व की रक्षा है?
3. औरंगाबाद का नाम बदलने में देरी क्यों?
• उद्धव ठाकरे जब मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर करने में देरी की।
• बीजेपी सरकार ने आते ही इस फैसले को मंजूरी दी। क्या यही हिंदुत्व की रक्षा करने की नीति है?
4. हनुमान चालीसा विवाद में शिवसेना का रवैया
• जब निर्दलीय सांसद नवनीत राणा और उनके पति रवि राणा ने मातोश्री के बाहर हनुमान चालीसा पढ़ने का ऐलान किया, तो उद्धव सरकार ने उन्हें गिरफ्तार करवा दिया।
• क्या यह हिंदुत्व की रक्षा करने का तरीका था?
बीजेपी और आरएसएस को घेरने की नाकाम कोशिश
उद्धव ठाकरे ने अपने भाषण में कहा कि वे बीजेपी को “जय शिवाजी, जय भवानी” कहने पर मजबूर करेंगे। लेकिन क्या वे भूल गए कि बीजेपी और आरएसएस ने हमेशा छत्रपति शिवाजी महाराज का सम्मान किया है?
• प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर मंच पर छत्रपति शिवाजी महाराज का उल्लेख करते हैं और उनकी नीतियों को प्रेरणा मानते हैं।
• बीजेपी सरकार ने शिवाजी महाराज की भव्य प्रतिमा बनवाई, उनके किलों के जीर्णोद्धार के लिए योजनाएँ शुरू कीं।
• महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (जो अब असली शिवसेना चला रहे हैं) खुद शिवाजी महाराज की विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं।
तो फिर उद्धव ठाकरे को बीजेपी को हिंदुत्व सिखाने की जरूरत क्यों पड़ रही है?
क्रिकेट मैच का मुद्दा: सस्ती राजनीति?
उद्धव ठाकरे ने दुबई में हुए क्रिकेट मैच का जिक्र करते हुए कहा कि “मैच टीवी पर देखा जा सकता था, फिर दुबई जाने की क्या जरूरत थी?”
• लेकिन क्या वे यह भी बताएंगे कि उनके करीबी नेता और सहयोगी क्या कर रहे थे?
• क्या कांग्रेस और एनसीपी के नेताओं ने कभी भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच नहीं देखा?
• क्या सिर्फ क्रिकेट देखने जाने से कोई देशद्रोही हो जाता है?
यह पूरी तरह बेतुका और सस्ती राजनीति करने का प्रयास था।
“हमें हिंदुत्व मत सिखाओ”—लेकिन खुद कांग्रेस की गोद में?
उद्धव ठाकरे का कहना है कि “हमें बीजेपी और आरएसएस हिंदुत्व मत सिखाए।” लेकिन क्या वे खुद अब कांग्रेस और वामपंथियों की विचारधारा नहीं अपना चुके हैं?
• जब उनकी सरकार थी, तब उन्होंने हिन्दू साधुओं की हत्या पर कार्रवाई नहीं की।
• महाराष्ट्र में लव जिहाद के बढ़ते मामलों पर कोई ठोस कानून नहीं बनाया।
• सेक्युलर दलों के साथ गठबंधन करके हिंदुत्व के मुद्दों पर नरम रुख अपना लिया।
तो अब जब सत्ता उनके हाथ से जा चुकी है, तो वे हिंदुत्व का कार्ड खेलकर अपनी राजनीति बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
उद्धव ठाकरे की राजनीतिक अवसरवादिता उजागर
उद्धव ठाकरे एक असफल राजनेता बन चुके हैं, जो अब अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन बचाने के लिए हिंदुत्व का सहारा लेने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन जनता यह अच्छी तरह जानती है कि जब उन्हें सत्ता मिली थी, तब उन्होंने हिंदुत्व को दरकिनार कर दिया था।
• जो खुद हिंदुत्व से भटक चुके हैं, वे बीजेपी-आरएसएस को फेक हिंदूवादी बताने का अधिकार नहीं रखते।
• जो सत्ता के लिए कांग्रेस-एनसीपी के साथ मिल गए, वे देशभक्ति पर सवाल उठाने का हक नहीं रखते।
महाराष्ट्र की जनता अब जागरूक है और उसे पता है कि असली हिंदुत्ववादी कौन हैं और कौन नकली हिंदुत्व के नाम पर राजनीति कर रहा है।
अब जनता ही तय करेगी कि असली हिंदुत्ववादी कौन है और सत्ता के लिए समझौता करने वाला कौन!

VIKAS TRIPATHI
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