न्यूयॉर्क/नई दिल्ली — ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ के नारे के साथ सत्ता में लौटे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरूआत में ही वैश्विक व्यापार नीति को फिर से तेज रुख पर रखा है। हाल के दिनों में यूरोपीय आयोग द्वारा टेक दिग्गज गूगल पर लगाए गए भारी जुर्माने के बाद ट्रंप ने तीखा विरोध जताया और जरुरत पड़ने पर कड़े प्रतिशोधी कदम उठाने की चेतावनी दी है।
क्या हुआ:
यूरोप की ओर से गूगल पर डिजिटल विज्ञापन टेक्नोलॉजी के दुरुपयोग के आरोपों के चलते करीब 2.9 बिलियन डॉलर (लगभग 29 हजार करोड़ रुपये) का जुर्माना लगाया गया — जिसे लेकर अमेरिका में नाराज़गी पनप गई। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर पोस्ट करते हुए ट्रंप ने लिखा कि यूरोप ने गूगल पर 3.5 बिलियन डॉलर का जुर्माना लगाया है और इसे “अमेरिकी कंपनियों व निवेश के खिलाफ भेदभावपूर्ण कार्रवाई” बताया। उन्होंने कहा कि यह अमेरिकी टैक्सपेयर के साथ “नाइंसाफी” है।
ट्रंप ने क्या कहा और क्या चेतावनी दी:
ट्रंप ने अपने पोस्ट में एप्पल का हवाला देते हुए कहा कि पहले भी यूरोप ने अमेरिकी कंपनियों पर अनुचित जुर्माने लगाए हैं — उदाहरण के तौर पर एप्पल पर लगाए गए 17 बिलियन डॉलर के जुर्माने का जिक्र करते हुए उन्होंने उसे “गलत” बताया और दावा किया कि उसे वापस मिलना चाहिए। ट्रंप ने चेतावनी दी कि अगर यूरोपीय कार्रवाई जारी रही तो उनकी सरकार धारा 301 के तहत कठोर कदम उठाएगी और अनुचित जुर्मानों को चुनौती देगी।
यूरोपीय आयोग का तर्क:
यूरोपीय आयोग ने आरोप लगाया है कि गूगल ने डिजिटल विज्ञापन तकनीक में अपना प्रभाव इस्तेमाल कर प्रतिस्पर्धियों और ऑनलाइन प्रकाशकों के साथ अनुचित व्यवहार किया और बाजार में अपना वर्चस्व बरकरार रखने के लिए सेवाओं को प्राथमिकता दी। आयोग के अनुसार यह प्रतिस्पर्धा-विरोधी कृत्य है और उपभोक्ताओं तथा प्रकाशकों के हितों के खिलाफ है।
प्रासंगिकता व असर:
यह विवाद फिर से अमेरिका-यूरोप के बीच तकनीक और व्यापार को लेकर चल रहे तनाव को बढ़ा सकता है। संभावित प्रभावों में शामिल हैं:
अमेरिका की ओर से टैरिफ या अन्य जवाबी कार्रवाई का जोखिम;
टेक कंपनियों के लिए अतिरिक्त नियामक और कानूनी जुझारू माहौल;
ट्रांसअटलांटिक निवेश व साझेदारी पर राजनीतिक असर;
वैश्विक डिजिटल बाजार में नियम और प्रतिस्पर्धा की नई बहस।
नतीजा:
ट्रंप प्रशासन का रुख यह संकेत देता है कि अमेरिका अपने प्रमुख टेक खिलाड़ियों की हर संभावित आर्थिक/न्यायिक चोट पर सक्रिय बचाव करेगा। वहीं यूरोपीय आयोग का कहना है कि बड़ी टेक कंपनियों के बाजार प्रभुत्व को सीमित कर प्रतिस्पर्धा को सुरक्षित रखना उसकी प्राथमिकता है। दोनों स्तरों पर दाव-परेशानी और कानूनी मुकदमे इस मामले को और आगे बढ़ा सकते हैं — जिसका असर वैश्विक टेक उद्योग और अंतरराष्ट्रीय व्यापार नीति पर देखा जाएगा।