
मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति में ‘गद्दार’ शब्द अब सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह स्टैंडअप कॉमेडी का हिट गाना भी बन चुका है। मशहूर कॉमेडियन कुणाल कामरा ने हाल ही में एक व्यंग्यात्मक गीत गाकर एकनाथ शिंदे सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया, लेकिन इस गाने ने न सिर्फ सियासी गलियारों में भूचाल ला दिया, बल्कि शिवसेना के दोनों गुटों को एक-दूसरे पर शब्दों के बाण चलाने का मौका भी दे दिया।
🎤 “जो गद्दार है, वो गद्दार है” – उद्धव ठाकरे
शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कामरा के गाने को ‘फुल एंटरटेनमेंट’ करार देते हुए कहा,
👉 “मुझे नहीं लगता कि कुणाल कामरा ने कुछ गलत कहा। जो गद्दार है, वो गद्दार है। गाने में कोई कमी नहीं है, बल्कि सुर और ताल भी सही बैठे हैं!”
👉 “जिनके खून में गद्दारी है, वे कभी शिवसैनिक नहीं हो सकते!”
उद्धव ठाकरे ने लोगों से अपील की कि कामरा का गाना जरूर सुनें और दूसरों को भी सुनाएं। यानी, राजनीति में ‘गद्दारी’ का सुर ताल से बाहर न जाए, इसका पूरा ध्यान रखा जाए!
“जनता ने बता दिया कौन गद्दार है” – देवेंद्र फडणवीस
महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने इस मुद्दे पर जमकर पलटवार किया। उनका कहना था:
👉 “जनता ने 2024 के चुनाव में बता दिया कि असली गद्दार कौन है।”
👉 “बालासाहेब ठाकरे की विरासत पर जनता की मुहर लगी है, और कोई स्टैंडअप कॉमेडियन खड़े होकर शिंदे जी को गद्दार नहीं कह सकता!”
फडणवीस ने यह भी चेतावनी दी कि “व्यंग्य और कॉमेडी ठीक है, लेकिन अगर कोई जानबूझकर बड़े नेताओं का अपमान करेगा, तो कानूनी कार्रवाई होगी।” यानी, हंसी मज़ाक अपनी जगह, लेकिन ‘गद्दारी’ पर सरकारी नकेल लग सकती है!
स्टूडियो में हुई ‘गद्दारी पर कार्रवाई’
कामरा के गाने के बाद शिंदे गुट की शिवसेना के समर्थक गुस्से से तमतमा गए और एक स्टूडियो में जमकर तोड़फोड़ कर दी। ऐसा लगा मानो ‘गद्दारी’ के गीत पर किसी ने ज़बरदस्ती ‘रॉक कंसर्ट’ कर दिया हो!
आखिर क्या था इस ‘गद्दारी गीत’ में?
कुणाल कामरा ने अपने शो में महाराष्ट्र की राजनीति पर चुटकी लेते हुए एक गीत गाया, जिसके बोल कुछ यूं थे:
“ठाणे की रिक्शा, चेहरे पे दाढ़ी, आँखों पे चश्मा, हाय…
एक झलक दिखलाए, कभी गुवाहाटी में छुप जाए…
मेरी नजर से तुम देखो, गद्दार नजर को आए…”
इस गीत ने न केवल महाराष्ट्र की राजनीति में हंगामा मचा दिया, बल्कि नेताओं को संगीत प्रेमी बना दिया! कुछ इसे ‘कलाकार की अभिव्यक्ति’ बता रहे हैं, तो कुछ ‘राजनीति पर हमला’ करार दे रहे हैं।
निष्कर्ष: राजनीति और कॉमेडी में सिर्फ मंच अलग, स्क्रिप्ट एक
आज महाराष्ट्र की राजनीति एक नए मोड़ पर है, जहां नेता व्यंग्य को गंभीरता से ले रहे हैं और जनता नेताओं के बयानों पर हंस रही है। स्टैंडअप कॉमेडी और राजनीति में फर्क बस इतना रह गया है कि एक में टिकट खरीदना पड़ता है और दूसरे में वोट!
अब देखना यह है कि “गद्दारी” की यह धुन राजनीति के कौन-कौन से नए राग छेड़ेगी! 🎵🔥

VIKAS TRIPATHI
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