Sunday, October 19, 2025
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केंद्रीय राज्य मंत्री बी.एल. वर्मा ने दिव्यांग बच्चों के हस्तशिल्प से खरीदे, “वोकल फॉर लोकल’ को किया बढ़ावा-ये दिवाली स्वदेशी वाली”

नई दिल्ली / (स्थल) — केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता तथा उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के संयुक्त प्रभार वाले केंद्रीय राज्य मंत्री बी.एल. वर्मा ने आज फर्स्टवन रिहैब फाउंडेशन का दौरा कर दिवाली के लिए दिव्यांग बच्चों द्वारा बनाए गए हस्तनिर्मित दीए, मोमबत्तियाँ और चॉकलेट्स खरीदे। इस अवसर पर उन्होंने “ये दिवाली स्वदेशी वाली” के संदेश को जोरदार समर्थन दिया और स्थानीय, आत्मनिर्भर उत्पादों के उपयोग का आह्वान किया।

वर्मा ने कार्यक्रम के समापन से पहले फाउंडेशन द्वारा तैयार उत्पादों की प्रदर्शनी का विस्तार से अवलोकन किया और कई उत्पादों को व्यक्तिगत रूप से भी खरीदा। उनके इस कदम से न सिर्फ फाउंडेशन के बच्चों को आर्थिक सहारा मिला बल्कि ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘मेक इन इंडिया’ जैसे अभियानों को भी ऊर्जा मिली।

वर्मा ने उपस्थितों से कहा, “ये दिवाली स्वदेशी वाली — उपहार वही दें जो भारत में ही बना हो। स्वदेशी उत्पादों से अपने घरों को रोशन करें और देश को आत्मनिर्भर बनाने में योगदान दें।” उन्होंने बच्चों को शुभकामना देते हुए कहा, “आपका जीवन भी इन रंग-बिरंगे दीयों की तरह रौशन और रंगीन हो।” उनके ये शब्द बच्चों और उनके परिवारों में उत्साह और आत्मविश्वास भर गए।

फर्स्टवन रिहैब फाउंडेशन के संस्थापक/प्रशासक ने वर्मा को धन्यवाद देते हुए बताया कि संस्थान दिव्यांग बच्चों को हुनर-सिखाने, रोजगारोन्मुख प्रशिक्षण देने और उनकी कारीगरी को बाज़ार तक पहुँचाने का काम कर रहा है। मंत्री के खरीदारी करने से बच्चों के लिए रोजगार के रास्ते खुलेंगे और उनकी उत्पादकता को मान्यता मिलेगी।

केंद्रीय राज्य मंत्री बी.एल. वर्मा ने दिव्यांग बच्चों के हस्तशिल्प से खरीदे, "वोकल फॉर लोकल’ को किया बढ़ावा-ये दिवाली स्वदेशी वाली”

इस कार्यक्रम का एक प्रमुख संदेश यही रहा कि त्योहारों पर उपहार चुनते समय स्थानीय कारीगरों और उत्पादन केंद्रों का समर्थन करना समाज के कमजोर वर्गों के सशक्तिकरण में अहम भूमिका निभाता है। वर्मा ने विभिन्न विभागों और बड़े संस्थानों से भी आग्रह किया कि वे फर्स्टवन जैसे संगठनों से तालमेल बढ़ाएँ और उनके उत्पादों को सरकारी क्रय/उपहार सूची में शामिल करने पर विचार करें।

फर्स्टवन रिहैब फाउंडेशन के कुछ उत्पादों में हाथ से बने मिट्टी के दीए, सुगंधित मोमबत्तियाँ, और हाथ से बने चॉकलेट शामिल थे — जिन्हें देखकर कई वरिष्ठ अधिकारी और मीडिया कर्मी भी प्रभावित हुए। बिक्रय से मिलने वाली आय का बड़ा हिस्सा दिव्यांग बच्चों के प्रशिक्षण और उनकी जीवन-गत सुविधाओं के लिए पुनः निवेश किया जाएगा।


संक्षेप में:

केंद्रीय राज्य मंत्री बी.एल. वर्मा ने फर्स्टवन रिहैब फाउंडेशन का दौरा किया।

दिव्यांग बच्चों के बनाए हस्तशिल्प (दीए, मोमबत्तियाँ, चॉकलेट) खरीदे।

“ये दिवाली स्वदेशी वाली” पहल का समर्थन किया।

खरीदारी और प्रचार से फाउंडेशन के बच्चों को आर्थिक व मनोवैज्ञानिक सहारा मिलेगा।

स्थानीय उत्पादों को सरकारी और सामाजिक स्तर पर प्राथमिकता देने का आह्वान किया।

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VIKAS TRIPATHI
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