
रायगढ़ किला (महाराष्ट्र):
345वीं पुण्यतिथि के अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने छत्रपति शिवाजी महाराज को रायगढ़ किले में श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्हें “भारत की आत्मा का प्रतीक” बताया। ऐतिहासिक रायगढ़ दुर्ग की भूमि पर गूंजती आवाज़ में उन्होंने मुगल सम्राट औरंगजेब पर तीखा वार किया और कहा, “जो खुद को आलमगीर कहता था, वह मराठों से हारकर इसी धरती में दफन हो गया!”
“शिवाजी कोई क्षेत्रीय राजा नहीं, वे राष्ट्रनायक हैं”
शाह ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, “शिवाजी महाराज को महाराष्ट्र तक सीमित मत करिए। उनकी इच्छाशक्ति, साहस और राष्ट्र के लिए समर्पण पूरे भारत को प्रेरित करता है। वे स्वराज और स्वधर्म के पुजारी थे।” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार शिवाजी महाराज के आदर्शों पर ही आगे बढ़ रही है, और उनका विजन भारत को 2047 तक महाशक्ति बनाने का है।
औरंगजेब पर सीधा प्रहार: “दुनिया जीतने चला था, मराठों से हार गया”
अपने उद्बोधन में शाह ने मुगल शासन की हार को स्पष्ट करते हुए कहा –
“औरंगजेब ने खुद को आलमगीर कहा, पर जीवन भर मराठों से लड़ता रहा, अंत में हारा और यहीं दफन हो गया। यही इतिहास है। यही मराठों की जीत की गूंज है।”
शाह ने शिवाजी महाराज के राष्ट्र निर्माण में योगदान को आधुनिक भारत की प्रेरणा बताया।
शिवाजी की ‘राजमुद्रा’ से नौसेना के ध्वज तक: अमिट छाप
शाह ने गर्व से कहा कि आज भारतीय नौसेना के ध्वज पर छत्रपति शिवाजी महाराज की राजमुद्रा अंकित है। ये न सिर्फ इतिहास की स्मृति है, बल्कि आज भी उनके विचारों की जीवंत उपस्थिति का प्रमाण है। उन्होंने रायगढ़ को सिर्फ पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि “आत्मविश्वास का गढ़” बताया।
राजनीतिक नेतृत्व भी हुआ एकजुट – वंशजों की मौजूदगी बनी खास बात
इस मौके पर मंच पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार, उदयनराजे भोसले और शिवेंद्रसिंह भोसले (शिवाजी महाराज के वंशज) भी उपस्थित रहे।
फडणवीस ने इस अवसर पर राज्य सरकार की उस महत्वाकांक्षी योजना की याद दिलाई, जिसमें अरब सागर में शिवाजी महाराज का भव्य स्मारक बनाने की प्रतिबद्धता है। उन्होंने बताया कि बॉम्बे हाईकोर्ट में लंबित याचिका वापस भेज दी गई है, जिससे अब परियोजना को फिर से गति मिलने की संभावना है।
शिवाजी की विरासत – प्रेरणा से सत्ता तक
शिवाजी महाराज सिर्फ इतिहास के पन्नों में दर्ज नाम नहीं, वे आज की राजनीति, प्रशासन और राष्ट्रवाद की प्रेरक शक्ति हैं। अमित शाह का यह भाषण इतिहास के गौरव के साथ-साथ राजनीतिक संदेशों से भी परिपूर्ण रहा—जहां शिवाजी की वीरता को मर्यादा का प्रतीक और औरंगजेब की हार को भारत की सांस्कृतिक जीत बताया गया।