
तेलंगाना के एसएलबीसी सुरंग में फंसे आठ मजदूरों को बचाने के लिए अब बचाव दल खोजी कुत्तों की मदद लेने की योजना बना रहा है। जिला कलेक्टर बी. संतोष ने बताया कि उनकी प्राथमिकता मजदूरों का पता लगाना है और जल्द से जल्द उन्हें सुरक्षित बाहर निकालना है।
बचाव कार्य अगले दो दिनों में पूरा होने की संभावना
तेलंगाना सरकार ने उम्मीद जताई है कि अगले दो दिनों में बचाव कार्य पूरा हो सकता है। बुधवार को राज्य के मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी ने कहा कि मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए ठोस कार्ययोजना बनाई गई है, जिसमें वैकल्पिक मार्गों की खोज और पानी निकालने के लिए उन्नत मशीनरी का उपयोग शामिल है।
चार दिन बाद भी मजदूरों का कोई सुराग नहीं
बचाव अभियान को चार दिन बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक मजदूरों का कोई सुराग नहीं मिला है। मंत्री रेड्डी ने बताया कि बचाव दल अब सुरंग के अंदर कीचड़ और गाद में प्रवेश करेगा। हालांकि, मंगलवार को बचावकर्मियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अभियान की गति धीमी कर दी गई थी।
टनल बोरिंग मशीन तक पहुंचने के लिए वैकल्पिक मार्गों की खोज
रेड्डी ने बताया कि सुरंग में फंसे मजदूरों तक जल्द पहुंचने के लिए टीबीएम (टनल बोरिंग मशीन) तक पहुंचने के लिए वैकल्पिक मार्ग खोजे जा रहे हैं। बचाव अभियान में सबसे बड़ी चुनौती सुरंग में जमा गंदे पानी की भारी मात्रा है, जिसे निकालने के लिए सरकार ने उन्नत मशीनों का उपयोग शुरू कर दिया है। इसके अलावा, सुरंग की वास्तविक स्थिति पर नजर रखने के लिए एडवांस इमेजिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है।
विशेषज्ञों और सैन्य एजेंसियों की मदद ली जा रही है
मंत्री रेड्डी ने बताया कि विशेषज्ञ लगातार सुरंग की संरचनात्मक स्थिरता का आकलन कर रहे हैं, ताकि बचाव कार्य बिना किसी अतिरिक्त जोखिम के पूरा हो सके। सुरंग में फंसी टीबीएम मशीन को गैस कटर की मदद से छोटे टुकड़ों में काटकर हटाने की योजना बनाई गई है, जिससे बचाव दल को आगे बढ़ने में सुविधा होगी।
बचाव अभियान में भारतीय सेना, नौसेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और रैट माइनर्स की टीमें शामिल हैं। इसके अलावा, राज्य सरकार ने सुरंग निर्माण और बचाव अभियानों में अनुभवी विशेषज्ञों और सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों से भी सलाह ली है। अभियान में भारतीय मरीन कमांडो फोर्स (MARCOS) और सीमा सड़क संगठन (BRO) को भी शामिल किया गया है।
सुरंग में खोजी कुत्तों की तैनाती की योजना
बचाव दल अब खोजी कुत्तों की मदद लेने की योजना बना रहा है, ताकि मजदूरों की लोकेशन का पता लगाया जा सके। जिला कलेक्टर बी. संतोष ने बताया कि कल रात बचाव दल ने सुरंग में संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। नागरकुरनूल के पुलिस अधीक्षक वैभव गायकवाड़ ने बताया कि 20 सदस्यीय बचाव दल सुरंग के अंतिम बिंदु तक पहुंचने में सफल रहा है। पहले, कीचड़ और मलबे के कारण टीम केवल 50 मीटर की दूरी तक ही पहुंच पाई थी।
जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड के संस्थापक की प्रतिक्रिया
एसएलबीसी सुरंग परियोजना का ठेका जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड को दिया गया था। कंपनी के संस्थापक जयप्रकाश गौड़ ने घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ऐसे कठिन अभियानों में दुर्घटनाएं हो सकती हैं। उन्होंने बताया कि उनके करियर में टिहरी, भूटान, जम्मू-कश्मीर सहित विभिन्न परियोजनाओं में छह से सात बड़ी दुर्घटनाएं हुई हैं।

VIKAS TRIPATHI
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